कोरोना संकट के बीच बिहार सरकार ने ऑक्सीजन संकट से उबरने की मुहिम शुरू की है। भविष्य में इसे लेकर कोई संकट ना रहे, सो राज्य सरकार नई नीति लाने की तैयारी कर रही है। इस नीति के तहत सरकार लिक्विड ऑक्सीजन के उत्पादन की इकाइयों से लेकर ऑक्सीजन सिलेंडर, कंसेंट्रेटर, बाईपैप आदि के निर्माण से जुड़े उद्योग लगाने पर विशेष अनुदान देने पर विचार कर रही है। ऑक्सीजन और उससे जुड़ी चीजों की निर्माण इकाइयों को उच्च प्राथमिकता क्षेत्र में शामिल किया जाएगा।
कोरोना का कहर इन दिनों देश-दुनिया के साथ ही बिहार पर भी हावी है। लगातार बढ़ते संक्रमण के चलते बड़ी संख्या में लोगों को सांस लेने में तकलीफ के मामले सामने आ रहे हैं। इन हालात में उन्हें ऑक्सीजन की दरकार होती है। ऐसे मरीजों की संख्या में भारी बढ़ोतरी के चलते ऑक्सीजन की मांग में जबर्दस्त इजाफा हुआ है। हालांकि इस संकट से उबरने को फौरी तौर पर सरकार ने कई कदम उठाए हैं। इंडस्ट्रियल ऑक्सीजन का रुख फिलहाल मेडिकल क्षेत्र की ओर मोड़ दिया गया है। हवा से ऑक्सीजन बनाने के प्लांट तो बिहार में हैं मगर लिक्विड ऑक्सीजन के लिए निर्भरता झारखंड और बंगाल पर है।
राज्य सरकार ऑक्सीजन संकट से उबरने का स्थायी समाधान भी खोज रही है। इसके लिए राज्य में व्यापक पैमाने पर ऑक्सीजन के उत्पादन और लिक्विड ऑक्सीजन के लिए दूसरे राज्यों पर निर्भरता खत्म करने की भी योजना है। यह काम निजी क्षेत्र की मदद से किया जाएगा। निवेशकों को लुभाने के लिए ऑक्सीजन उत्पादन प्रोत्साहन नीति लाने पर मंथन चल रहा है। नई नीति का लाभ सिर्फ ऑक्सीजन निर्माताओं को ही नहीं ऑक्सीजन सिलेंडर, कंसेंट्रेटर, बाईपैप सहित इससे जुड़े अन्य उपकरण बनाने वालों को भी मिलेगा। उद्योग विभाग से जुड़े सूत्रों की मानें तो निवेशकों को बहुत आकर्षक केपिटल सब्सिडी देने पर विचार हो रहा है। यह 30 से 35 प्रतिशत तक भी हो सकती है।
बिहार में नहीं हैं सिलेंडर-कंसेंट्रेटर, बाईपैप की उत्पादन इकाई
बिहार में ऑक्सीजन सिलेंडर या कंसेंट्रेटर और बाईपैप जैसे मेडिकल उपकरण बनाने वाली फिलहाल कोई इकाई नहीं हैं। कंसेंट्रेटर आदि उपकरण अधिकांशत: चीन से आते हैं। जिन्हें दिल्ली के ट्रेडरों के जरिए बिहार लाया जाता है। वहीं, लिक्विड ऑक्सीजन गैस की भी कोई इकाई नहीं है। इसे फिलहाल झारखंड के बोकारो से लाया जा रहा है। वहीं, बिहार में हवा से ऑक्सीजन बनाने वाली 16 इकाइयां हैं।
निजी अस्पतालों को होगी सुविधा
ऑक्सीजन और उससे जुड़ी अन्य चीजों को लेकर सरकार यह नई नीति लाती है तो इससे निजी अस्पतालों को भी खासी सुविधा हो जाएगी। ऑक्सीजन प्लांट लगाने में यूं तो बहुत अधिक खर्च नहीं है लेकिन यदि सरकार आकर्षक केपिटल सब्सिडी देगी तो अस्पताल संचालकों के लिए यह प्लांट लगाना और आसान हो जाएगा।