NDA की बैठक का बहिष्‍कार कर घिरे मुकेश सहनी? बीजेपी सांसद के बाद अपनी ही पार्टी के विधायक ने उठाया सवाल

बिहार विधानमंडल के मानसून सत्र के पहले दिन एनडीए विधानमंडल दल की बैठक में शामिल न होकर वीआईपी के मुखिया मुकेश सहनी अब घिरते नज़र आ रहे हैं। कल मुकेश सहनी ने प्रेस कांफ्रेंस कर एनडीए में सम्‍मानजनक व्‍यवहार न होने का आरोप लगाया था। इस आरोप पर भाजपा ने तो पलटवार किया ही है उनकी अपनी पार्टी के विधायक डॉ. राजू कुमार सिंह ने भी बैठक में शामिल न होने को गलत ठहरा दिया है। डॉ. राजू कुमार सिंह ने मीडियाकर्मियों से कहा कि एनडीए विधायक दल की बैठक में शामिल न होना मुकेश सहनी का व्‍यक्तिगत निर्णय था। उन्‍होंने पार्टी विधायकों की राय लिए बिना ही यह निर्णय ले लिया।

विधायक ने कहा कि यदि मुकेश सहनी कहते हैं कि वे एनडीए में उपेक्षित महसूस कर रहे हैं, तो मैं भी वीआईपी में उपेक्षित महसूस कर रहा हूं। उन्होंने कहा कि पार्टी के चारों विधायकों की पार्टी अध्‍यक्ष के साथ बैठक होगी। इस बैठक में आगे की रणनीति पर चर्चा की जाएगी। 

भाजपा सांसद ने कहा-सहनी के जाने से एनडीए पर कोई असर नहीं पड़ेगा
बिहार भाजपा उपाध्यक्ष और सांसद अजय निषाद ने कहा है कि वीआईपी नेता मुकेश सहनी के चले जाने से एनडीए पर कोई असर नहीं पड़ेगा। बनारस से लौटाए जाने पर राज्य सरकार के मंत्री एवं वीआईपी नेता मुकेश सहनी द्वारा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पर लगाए गए आरोपों के संबंध में पत्रकारों से बात करते हुए सांसद ने कहा है कि भाजपा ने उन्हें हमेशा सम्मान दिया है। वे यूपीए से लोकसभा का चुनाव लड़े और हार गए। एनडीए से भी विधानसभा का चुनाव लड़े और फिर हार गए। इसके बावजूद भाजपा ने उन्हें सम्मान देते हुए एमएलसी बनाया और मंत्री भी बनाया। बनारस से वापस लौटाए जाने की चर्चा करते हुए अजय निषाद ने कहा कि उस घटना से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कुछ भी लेना-देना नहीं है।  

इतने बड़े प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पास इतनी छोटी-छोटी बातों के लिए फुर्सत नहीं है। बनारस में मंत्री मुकेश सहनी के जो भी घटना हुई, वह कोविड के नियमों के उल्लंघन का मामला है। वे प्रतिमा लगाने की घोषणा कर दल-बल के साथ जा रहे थे। हाई कोर्ट से भी प्रतिमा लगाने पर रोक है। किसी स्थान पर प्रतिमा लगाने से पहले अगर वह स्थान नगर परिषद या नगर निगम क्षेत्र में आता है तो संबंधित परिषद या निगम से अनुमति के बिना प्रतिमा नहीं लगायी जा सकती है। वहां के अधिकारियों ने नियम और आदेश की अवहेलना की अनुमति नहीं देते हुए कार्रवाई की। विधि व्यवस्था संभालना वहां के डीएम और एसपी की जिम्मेदारी है। उसी के तहत कार्रवाई हुई है।  

भाजपा कुर्बानी देना जानती है। बिहार में नीतीश कुमार एनडीए से अलग हटकर राजद के साथ चुनाव लड़े और सरकार बनाए। बाद में मुख्यमंत्री को गलती का अहसास हुआ और वे फिर एनडीए में शामिल हुए। इस बार जेडीयू को कम सीटें मिलीं, फिर भी नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाया गया।

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