MP News: कांग्रेस सरकार के एक फैसले से मध्य प्रदेश को चार सौ करोड़ रुपये का झटका

कोरोना काल में थमी आर्थिक गतिविधियों को पटरी पर लाने की कोशिश में जुटी शिवराज सरकार को कमल नाथ सरकार के एक फैसले से लगभग 400 करोड़ रुपये का झटका लगेगा। दरअसल, राज्य सरकार द्वारा 2019 में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीदे गेहूं में से केंद्र सरकार ने 6.45 लाख टन गेहूं लेने से इन्कार कर दिया है। यह कदम इसलिए उठाया गया है क्योंकि कांग्रेस सरकार ने केंद्र सरकार से वर्ष 2016 में हुए करार के विरुद्ध जाकर गेहूं खरीद के दौरान ‘जय किसान समृद्धि योजना” लागू कर दी थी। इसमें प्रति क्विंटल 160 रुपये प्रोत्साहन राशि देने का प्रविधान किया था। यह राशि तो किसानों को मिली नहीं और अब राज्य के ऊपर 6.45 लाख टन गेहूं को नीलाम करके राशि निकालने का जिम्मा और आ गया है

प्रदेश सरकार ने वर्ष 2019 में 1,835 रुपये क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य की दर से गेहूं की खरीद की थी। कुल 73.70 लाख टन गेहूं खरीदा गया। इसमें से केंद्र सरकार ने दो किस्तों में 67.25 लाख टन गेहूं सेंट्रल पूल में लेने पर सहमति दे दी पर 6.45 लाख टन गेहूं लेने से इन्कार कर दिया। तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने हर स्तर पर इस मुद्दे को उठाया पर बात नहीं बनी। दरअसल, केंद्र सरकार ने राज्य के साथ हुए अनुबंध का हवाला देते हुए कहा कि खरीद के बीच किसी भी प्रकार का प्रोत्साहन देना बोनस ही माना जाएगा।

जबकि, राज्य सरकार का तर्क था कि यह बोनस नहीं उत्पादकता बढ़ाने पर किसानों को प्रोत्साहन है। सत्ता परिवर्तन के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी प्रदेशहित में लगातार इस मुद्दे को उठाया पर केंद्र सरकार का रुख नहीं बदला और 11 जनवरी को केंद्रीय उपभोक्ता मामले के मंत्रालय ने पत्र लिखकर साफ कर दिया कि इसे मान्य नहीं किया जा सकता है। सूत्रों का कहना है कि ओपन मार्केट सेल्स स्कीम में इस बार बहुत कम अनाज की बिक्री हुई है। प्रदेश में पिछले साल सरकार ने व्यापारियों को किसानों के घर, खेत-खलिहान से खरीद की छूट दी थी।

इसकी वजह से कितना गेहूं खुले बाजार में नीलामी से बिकेगा, यह कहना फिलहाल संभव नहीं है लेकिन माना जा रहा है कि 400 से 500 करोड़ रुपये का झटका लग सकता है। गेहूं खरीद की प्रति क्विंटल लागत किसानों को भुगतान के अलावा भंडारण, परिवहन, समिति का कमीशन आदि मिलाकर करीब 2100 रुपये आई थी। खाद्य, नागरिक आपूर्ति विभाग के अधिकारियों का कहना है कि सरकार ने इस गेहूं का निराकरण करने के लिए कृषि उत्पादन आयुक्त की अध्यक्षता में समिति बनाई है। समिति के प्रस्ताव पर सरकार तय करेगी कि गेहूं का क्या किया जाए। अभी प्रदेश के गोदामों में 85 लाख टन गेहूं रखा हुआ है।

बजट में किया था 1,400 करोड़ का प्रविधान

कमल नाथ सरकार ने किसानों को प्रोत्साहन राशि का भुगतान करने के लिए बजट में 1,400 करोड़ रुपये का प्रविधान किया था। केंद्र सरकार के साथ गेहूं को सेेंट्रल पूल में लेने संबंधी विवाद के चलते यह राशि कृषि विभाग के बजट में रखी रही और फिर इसका उपयोग दूसरी जगह किया गया।

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