प्रदेश में बिजली उपलब्धता भले भरपूर हो लेकिन उत्पादन इकाईयों की स्थिति चिंताजनक है। थर्मल पॉवर प्लांट में सबसे ज्यादा पॉवर लोड फैक्टर (पीएलएफ) गिरता जा रहा है। औसत बिजली का उत्पादन इन प्लांटों में 40 फीसद के नीचे पहुंच रहा है। जबकि राष्ट्रीय औसत 70 फीसद का मानक तय है। इसमें सबसे ज्यादा खराब स्थिति श्री सिंगाजी पॉवर प्लांट की थी। जहां उत्पादन 24 फीसद के आसपास ही रहा। कमजोर उत्पादन होने से महंगी बिजली निजी प्लांट से खरीदनी पड़ती है जिसका सीधा असर आम उपभोक्ताओं की जेब पर पड़ता है।
उत्पादन बंद होना वजह : मप्र पॉवर जनरेशन कंपनी की इकाईयों से बड़ा हिस्सा जरूरत की बिजली का उत्पादन किया जाता है। बीते साल मप्र पॉवर जनरेशन की इकाईयों में तकनीकी खराबी सामने आई। इस वजह से उत्पादन भी प्रभावित हुआ। इसमें श्री सिंगाजी पॉवर प्लांट की दो इकाई 660-660 मेगावाट की बंद हुई। सिर्फ एक इकाई से बिजली का उत्पादन किया गया। इसके अलावा हाइड्रल के गांधीसागर, पेंच के प्लांट में भी तकनीकी खराबी की वजह से उत्पादन प्रभावित हुआ।
बंद पर भी खर्च उठाती है कंपनियां : बिजली कंपनियों को पॉवर प्लांट बंद होने के बावजूद फिक्स जार्च और फ्यूल कॉस्ट एडजस्टमेंट का भुगतान करना होता है। ये खर्च एक तरह से आम उपभोक्ताओं से ही लिया जाता है यानि बंद प्लांट का खामियाजा बिजली उपभोक्ता ही आखिरी में भरते हैं।
ये है मौजूदा स्थिति-
पॉवर प्लांट औसत वार्षिक क्षमता
श्री सिंगाजी पॉवर प्लांट 24.42 फीसद
सतपुड़ा पॉवर प्लांट 30.48 फीसद
संजय गांधी पॉवर प्लांट 57.08 फीसद
अमरकंट पॉवर प्लांट 78 फीसद
बढ़ रहा है बिजली का दाम : नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के डॉ.पीजी नाजपांडे, रजत भार्गव, डॉ.एमए खान, डीआर लखेरा ने मप्र विद्युत नियामक आयोग को इस मामले में शिकायत दी है जिसके आधार उन्होंने आरोप लगाया कि उत्पादन कम होने के कारण प्लांट में कोयला, तेल आदि की मात्रा ज्यादा खर्च हो रही है जिसका भुगतान एफसीए के जरिए आम उपभोक्ताओं से लिया जाता है। उन्होंने पूरे मामले की जांच करवाने की मांग की है।