बिहार की राजधानी पटना में भागवत नगर स्थित एक प्राइवेट अस्पताल ओम पाटलिपुत्रा ने मंगलवार को एक साथ 12 मरीजों को डिस्चार्ज कर दिया। इसके बाद वहां अफरा-तफरी का माहौल हो गया। जैसे ही इसकी सूचना जिला प्रशासन को मिली, डीएम के आदेश पर अस्पताल की छानबीन की गई। इसमें पता चला कि बगैर अनुमति के अस्पताल में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों का उपचार हो रहा था। इस मामले में डीएम डॉ चंद्रशेखर सिंह ने पांच सदस्यीय जांच टीम गठित कर दी है।
डीएम ने बताया कि भागवत नगर स्थित एक प्राइवेट अस्पताल में पहले मरीजों को भर्ती कर लिया गया जो कोरोनावायरस से संक्रमित है। उसके बाद ऑक्सीजन नहीं होने का कारण बताकर उन्हें डिस्चार्ज किया जाने लगा। मरीज के परिजन अचानक परेशान हो गए। उन्होंने इसकी सूचना जिला प्रशासन के अधिकारियों को दी। इस मामले की छानबीन कराई गई तो पता चला कि अस्पताल को कोविड मरीजों के उपचार की अनुमति नहीं है। इसके बावजूद भी मरीजों को भर्ती कर उपचार किया जा रहा था, जो आदेश का उल्लंघन है। इसीलिए एडीएम की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय कमेटी गठित की गई है जो बुधवार को जांच करेगी।
अस्पताल में कैसे मरीजों को भर्ती किया गया तथा कितने बेड हैं? क्या मरीजों का उपचार सरकारी दर पर हो रहा था या नहीं? ऑक्सीजन की उपलब्धता के लिए अस्पताल प्रबंधन द्वारा क्या व्यवस्था की गई थी? अस्पताल प्रबंधन द्वारा जब कोरोना वायरस से पीड़ित मरीजों का उपचार किया जा रहा था तब उसने क्यों नहीं सिविल सर्जन कार्यालय से सूचीबद्ध कराया? क्या अस्पताल प्रबंधन इस आपदा की घड़ी में मरीजों से अधिक पैसा वसूल रहा था? इन सभी पहलुओं पर जांच करने को कहा गया है। जांच रिपोर्ट आने के बाद उक्त अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
हाईकोर्ट के एक और कर्मी की हुई मौत
पटना। हाईकोर्ट के एक और कर्मी राकेश समदर्शी की मौत कोरोना से हुई है। आरोप है कि उन्हें ऑक्सीजन नहीं मिल पाया। कोरोना संक्रमण के बाद उन्हें बेहतर इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती किया गया। ऑक्सीजन की कमी के कारण उन्हें सोमवार रात एनएमसीएच में भर्ती कराया। वहां कोई देखभाल नहीं किए जाने के कारण वहां से केपी सिन्हा मेमोरियल हॉस्पिटल भूतनाथ रोड में ले जाया गया। उसे बचाया नहीं जा सका जबकि प्रशासन से उनकी ऑक्सीजन सप्लाई आपूर्ति के लिए गुहार लगाई गई थी।