नई दिल्ली: बिहार चुनाव में अधिकांश एग्जिट पोल को ध्वस्त करते हुए सत्तारूढ़ एनडीए स्पष्ट बहुमत के साथ सत्ता में वापसी करती दिख रहा है. लेकिन इसमें एक ट्विस्ट भी आया है. इस बार के चुनाव में बीजेपी सबसे बड़े दल के रूप में उभरते हुए दिख रही है. अब तक के रुझानों के मुताबिक बीजेपी, जेडीयू के नेतृत्व वाला एनडीए 130 सीटों के साथ बहुमत के जादुई आंकड़े 123 को पार करता दिख रहा है. इसमें भी सबसे बड़ी बात ये है कि बीजेपी ने बिहार में अब तक का सबसे बेहतरीन प्रदर्शन किया है. पिछले विधान सभा चुनाव में बीजेपी ने 53 सीटें जीती थीं. उसके बरक्स इस बार बीजेपी 74 सीटों पर आगे दिख रही है. जेडीयू 48 और सहयोगी वीआईपी 8 सीटों पर आगे चल रही है. वहीं दूसरी तरफ विपक्षी महागठबंधन की बात की जाए तो राजद 60 और कांग्रेस 21 सीटों पर आगे दिख रही है. यानी इन रुझानों से साफ है कि इस बार बीजेपी चुनावी रेस में अकेले सबसे बड़े दल के रूप में उभर रही है.
यहीं से लाख टके का सवाल शुरू होता है कि अब बीजेपी सत्ता पक्ष में सबसे बड़े दल के रूप में उभरी है तो क्या अभी भी नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री बनेंगे? ऐसा इसलिए क्योंकि सियासी समीकरणों के लिहाज से अब बिहार में बीजेपी ‘बड़े भाई’ की भूमिका में आ गई है. हालांकि चुनावों से पहले बीजेपी ने कहा था कि भले ही उनकी अधिक सीटें आएं लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही बनेंगे. लेकिन अब सवाल ये भी है कि बीजेपी को जेडीयू की तुलना में काफी ज्यादा सीटें मिली हैं. इसलिए पार्टी के भीतर मुख्यमंत्री की कुर्सी बीजेपी को मिलने की मांग उठ सकती है.
जेडीयू खेमा भी इस बात को समझता है. इसलिए सत्तारूढ़ खेमे के स्पष्ट बहुमत के आने की संभावना के बावजूद अभी तक दोनों दलों की तरफ से प्रवक्ताओं को छोड़कर पार्टी की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है. यदि बीजेपी के विधायक मुख्यमंत्री पद के लिए मांग उठाते हैं तो पार्टी आलाकमान के लिए उनकी मांग को नजरअंदाज करना इतना आसान नहीं होगा.
बीजेपी का स्ट्राइक रेट बेहतर
इसके साथ ही अब सबकी निगाहें नीतीश कुमार के रुख पर टिक गई हैं क्योंकि उनके लिए भी बीजेपी की तुलना में काफी सीटें पिछड़ने के बाद मुख्यमंत्री बनने की राह इतनी आसान नहीं होगी. हालांकि ये भी सही है कि नीतीश कुमार पहले ही ‘आखिरी चुनाव’ का सियासी दांव खेल चुके हैं.
बीजेपी और जेडीयू दोनों ने कमोबेश बराबर सीटों पर चुनाव भी लड़ा. 122 सीटों पर जेडीयू और 121 सीटों पर बीजेपी मैदान में उतरी. अपने कोटे में से इन दोनों ही दलों ने हम और वीआईपी को सीटें दीं. बीजेपी ने अपने कोटे से 11 सीटें वीआईपी को दी. वीआईपी भी आठ सीटों पर आगे चल रही है. इस लिहाज से देखें तो बीजेपी और वीआईपी की जीत का स्ट्राइक जेडीयू और हम से बेहतर रहा है.