बिहार सरकार ने विकास के अपने एजेंडे को ही अगले वर्ष के बजट में विस्तार दिया है। गांवों, गरीबों, युवाओं, महिलाओं और किसानों को केन्द्र में रखा गया है। इसके अलावा पहले की तरह ही आवागमन को सुगम बनाने को लक्ष्य कर गांवों और शहरों के लिए योजनाएं ली गई हैं। बिहार कृषि प्रधान राज्य है और किसानों के लिए फसलों की सिंचाई सबसे बड़ी चुनौती रही है। इस अर्थ में हर खेत को पानी की योजना सफल हुई तो यह खेती- किसानी के लिए संजीवनी साबित होगी। सरकार ने कौशल विकास, उद्यमिता और उच्च शिक्षा पर भी फोकस किया है। बाहर काम कर रहे बिहारी श्रमिकों का पंचायत वार डाटा तैयार करने और क्षेत्रीय प्रशासन में महिलाओं को आरक्षण के अनुपात में हिस्सेदारी देने का फैसला बड़ी पहल साबित होगी। इसी तरह स्नातक और इंटर छात्राओं को पढ़ाई के लिए प्रोत्साहन का बजट दो से ढाई गुना तक बढ़ा दिया गया है।
बजट का आकार करीब सात हजार करोड़ बढ़ा
बजट पर कोरोना से पैदा हुई चुनौतियों का प्रत्यक्ष कोई असर नजर नहीं आ रहा है। वैसे बजट का आकार करीब सात हजार करोड़ बढ़ा है, लेकिन योजना बजट में पिछले साल की तुलना में 5,262 करोड़ 34 लाख रुपये कम का प्रावधान किया गया है। सरकार का स्थापना और प्रतिबद्ध व्यय बढ़ेगा, इस मद में पिछले साल की तुलना में 11,788 करोड़ 70 लाख अधिक रखा गया है। सरकार ने बजट में कई नए प्रावधान किए हैं, मसलन तीन नए विश्वविद्यालयों की स्थापना, कौशल विकास विभाग, शहरी गरीबों को आवास, शहरों में नदी घाटों पर मोक्ष धाम, गांवों में सोलर लाइट, हर खेत को पानी, गांवों को प्रमुख पथों से जोड़ने के लिए नई सड़कें, शहरों में बाईपास और फ्लाईओवर आदि, लेकिन घाटे को तीन फीसदी की सीमा में ही रखा गया है।
सात निश्चय- 2 पार्ट वन का ही विस्तार
उद्योग विभाग के बजट में इजाफा किया गया है। लेकिन इससे उद्यमी वर्ग संतुष्ट नहीं है। हालांकि राज्य में उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए भले ही अपेक्षित प्रावधान या नीतिगत राहत की घोषणा नहीं की गई है, लेकिन सरकार का जोर उद्यमिता बढ़ाने पर अवश्य है। महिलाओं और युवाओं को उद्यम से जोड़ने के लिए ब्याज मुक्त कर्ज और अनुदान की व्यवस्था की गई है। उद्यमिता को प्रोत्साहन देने और कौशल ट्रेनिंग के माध्यम से इसके लिए सक्षम बनाने का फैसला सराहनीय है। दरअसल, बिहार में उद्यमिता का अभाव रहा है। सात निश्चय- 2 दरअसल पार्ट वन का ही विस्तार है और इसके लिए बजट में 4671 करोड़ का अलग से प्रावधान किया गया है। वैसे पूरा बजट आत्मनिर्भर बिहार के सात निश्चय-2 के इर्द- गिर्द केन्द्रित है। पांच साल में बीस लाख रोजगार के अवसर पैदा करने का अर्थ है हर साल चार लाख का औसत। अगर यह संभव होता है तो बिहार के श्रमिकों के लिए बड़ी राहत होगी। कुल मिलाकर 2005 में विकास का जो मॉडल तय किया गया था, ताजा बजट उसी दिशा में आगे बढ़ने का संकल्प है।