जब सुप्रीम कोर्ट ने कहा- सोशल मीडिया का यूज दूसरों की बेइज्जती के लिए नहीं कर सकते, स्मृति ईरानी से जुड़ा है मामला

सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में टिप्पणी करते हुए कहा कि सोशल मीडिया का इस्तेमाल किसी की बेइज्जती करने के लिए नहीं किया जा सकता। इसके बाद शीर्ष कोर्ट ने एक कॉलेज के प्रोफेसर को गिरफ्तारी से संरक्षण देने से मना कर दिया। यूपी के फिरोजाबाद स्थित एसआरके कॉलेज के प्रोफेसर शहरयार अली ने कथित रूप से केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के खिलाफ फेसबुक पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। आईटी एक्ट की धारा 66ए के निरस्त होने के बाद सोशल मीडिया पर जो ‘गंदगी’ बढ़ी है, उस पर लगाम कसने के लिए कोर्ट की ये टिप्पणी अहम है।

आप एक महिला का अपमान नहीं कर सकते
जस्टिस संजय किशन कौल की पीठ ने शुक्रवार को कहा कि आप इस तरह से एक महिला का अपमान नहीं कर सकते। आपने किस भाषा का प्रयोग किया है। आलोचना और मजाक करने की एक भाषा होती है। ऐसा नहीं होगा कि आप जो कहना चाहते हैं कहें और बच कर निकल जाएं। यह कहते हुए पीठ ने अली को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया। अली को पुलिस ने केंद्रीय मंत्री के खिलाफ फेसबुक पर आपत्तिजनक टिप्पणी और अश्लील सामग्री पोस्ट करने के मामले में आईपीसी की धारा 502 (2) और आईटी एक्ट की धारा 67 ए के तहत मामला दर्ज किया था। अली के खिलाफ यह शिकायत भाजपा नेता ने दर्ज करवाई थी।

आरोपी ने कहा, खाता हैक हो गया था
अली की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता ने बहस की और कहा कि उनका फेसबुक खाता हैक हो गया था। उन्हें जैसे ही पता चला माफी पोस्ट कर दी थी। इस पर कोर्ट ने कहा कि आप कमाल की बात करते हैं, आप जो भी कह रहे हैं और वह बाद में आया विचार है। आपने उसी खाते को माफी के लिए इस्तेमाल किया और आप कह रहे हैं कि खाता हैक हो गया था। साफ है कि यह आप ही थे, जो तब भी खाते का इस्तेमाल कर रहे थे। कोर्ट ने उनसे पूछा कि सोशल मीडिया खाता हैक होने के बारे में आप और कुछ दिखाना चाहते हैं।

हम आपकी हैकिंग कहानी से संतुष्ट नहीं : कोर्ट
इस पर वकील ने कहा कि उनके पास इस बारे में दिखाने के लिए कुछ नहीं है, लेकिन उनका तुरंत माफी मांगना दिखाता है कि वह सच्चे थे। मगर, कोर्ट ने कहा कि हम आपकी हैकिंग कहानी से संतुष्ट नहीं है। हैक खाते को आप फिर से कैसे इस्तेमाल कर सकते थे। इसे हैकिंग नहीं कह सकते। यदि किसी ने आपके खाते का इस्तेमाल किया है तो भी आप पहली नजर में जिम्मेदार हैं। आप अपना केस टायल कोर्ट में सिद्ध कीजिए। कोर्ट ने याचिका खारिज कर अली को दो हफ्ते में फिरोजाबाद कोर्ट में सरेंडर करने का आदेश दे दिया।

हाईकोर्ट ने अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया था
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मई में अली को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया था। कोर्ट ने कहा था अली इस राहत के योग्य नहीं है। वह अपने विभाग के अध्यक्ष हैं और वरिष्ठ शिक्षक हैं। कोर्ट ने कहा था कि उनकी पोस्ट समुदायों में वैमनस्यता फैला सकती है।

क्या हो सकती है सजा
धारा 502 के तहत दो साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है। यह अपराध जमानती है। वहीं आईटी एक्ट, 2000 की धारा 67 ए ( अश्लील सामग्री पोस्ट या प्रकाशित करना) के तहत पांच साल तक की सजा हो सकती है और 10 लाख रुपये का जुर्माना हो सकता है। यह संज्ञेय और गैरजमानती अपराध है।

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