दिल्ली के ऑक्सीजन की मांग की ऑडिट करने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई सबकमेटी ने कहा है कि दिल्ली सरकार ने बढ़ा चढ़ाकर और गलत फार्मूले का प्रयोग कर ऑक्सीजन की मांग की जो उसकी जरूरत से चार गुणा ज्यादा थी। हालांकि, सबकमेटी ने कहा है कि यह अबतक साफ नहीं है कि दिल्ली सरकार ने किस आधार पर 700 एमटी ऑक्सीजन की मांग की, जबकि इस मांग में गई गंभीर चूकें थीं। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ इस मामले में 30 अप्रैल को सुनवाई करेगी।
सबकमेटी ने कहा कि 30 अप्रैल को दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में ऑक्सीजन की मांग बेहद बढ़ा चढ़ा कर की थी। कमेटी ने कहा कि कुछ अस्पताल मीट्रिक टन, एमटी और किलो टन, केटी में भेद नहीं कर पा रहे थे लेकिन दिल्ली सरकार ने 700 एमटी की मांग करने से पहले इस गंभीर चूक पर ध्यान नहीं दिया। कमेटी ने यह रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में पेश कर दी है।
टैंकर खाली नहीं हो सके:
कमेटी ने कहा कि हालत यह थी कि ऑक्सीजन से भरे टेंकर अस्पतालों के बाहर खड़े रहे और उन्हें खाली करने नहीं दिया गया क्योंकि अस्पतालों में ऑक्सीजन फुल थी, जिसे दूसरी लहर के कोविड 19 मरीजों के इलाज के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सका था। इससे साफ है कि दिल्ली में आक्सीजन की कमी नहीं थी।
कमेटी ने कहा कि कुछ अस्पतालों ने ऑक्सीजन की बहुत ज्यादा मांग की लेकिन उनकी खपत शून्य रही। कमेटी ने दिल्ली इसएसआई अस्तपाल समेत कई अस्पतालों का नाम लिया है जिन्होंन ऑक्सीजन की बेहद ज्यादा मांग की जबकि उनके पास बेडों की संख्या कुछ ही थी। इससे ऑक्सीजन की सप्लाई का पूरा ढांचा बिगड़ गया। इतना ही नहीं दिल्ली के पास आवंटित ऑक्सीजन को स्टोर करने की सुविधा तक नहीं थी जिसके कारण इसने सप्लायरों से ऑक्सीजन अपने ही प्लांट में रिजर्व रखने को कहा।
इस कमेटी में एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया, दिल्ली के प्रमुख् गृह सचिव भूपिंदर भल्ला, मैक्स हैल्थेकयर के निदेशक डा. संदीप बुद्धिराजा, केंद्रीय जलशक्ति मंत्रालय के संयुक्त सचिव सुबोध यादव तथा पेट्रोलियम व एक्प्लोसिव सेफ्टी संगठन के संजय कुमार सिंह शामिल हैं।
दो सदस्यों की कमेटी रिपोर्ट पर आपत्ति :
इस कमेटी की 18 मई को हुई अंतिम बैठक में भल्ला और बुध्दिराजा ने भाग नहीं लिया। दिल्ली के प्रमुख गृह सचिव ने इस अंतरिम रिपोर्ट पर आपत्ति जताई है। उन्होंने अपनी टिप्पणियों में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने सबकमेटी का गठन राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में ऑक्सीजन की सप्लाई के अवरोध की पहचान करने के तथा उसी सुगम सप्लाई के रास्ते ढ़ूंढुने को कहा था। लेकिन सब कमेटी आक्सीजन फार्मूले की समीक्षा कर रही है जो कि राष्ट्रीय टास्क फोर्स का काम है। लगता है, सब कमेटी दिल्ली को कम ऑक्सीजन देने की पहले से तय मंशा पर काम कर रही है।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 6 मई को केंद्र सरकार को आदेश दिया था कि दूसरी लहर के कोविड मरीजों के लोड से निपटने के लिए दिल्ली को रोज 700 एमटी ऑक्सीजन सप्लाई की जाए। इससे पूर्व दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली को 700 एमटी ऑक्सीजन रोज नहीं देने पर केंद्र सरकार पर अवमानना की कार्रवाई शुरु की थी। हालांकि शीर्ष अदालत ने इस कार्रवाई को रोक दिया था। इस आदेश के साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में ऑक्सीजन का अडिट करने के लिए राष्ट्रीय टास्क फोर्स का बनाई थी।