गंगा में बहते शवों पर ट्वीट का मामला: रिटायर्ड आईएएस सूर्य प्रताप सिंह की गिरफ्तारी पर लगी रोक

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने गंगा में पड़े शवों की तस्वीर ट्वीट करने के मामले में रिटायर्ड आईएएस अधिकारी की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा कि रिपोर्टिंग करने अथवा अपनी शिकायत सोशल मीडिया पर पोस्ट करने के लिए किसी के खिलाफ एफआईआर नहीं की जा सकती।

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने उन्नाव जिले के कोतवाली थाने में दर्ज मुकदमे में रिटायर्ड आईएएस अधिकारी सूर्य प्रताप सिंह की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। यह रोक पुलिस द्वारा जांच पूरी करने के बाद दाखिल रिपोर्ट अथवा अग्रिम सुनवाई तक रहेगी। वहीं, सूर्य प्रताप सिंह की ओर से उनके अधिवक्ता ने न्यायालय को आश्वासन दिया कि वह भविष्य में ट्वीट करते वक्त सावधानी बरतेंगे।

न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा व न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश सूर्य प्रताप सिंह की याचिका पर दिया। याचिका में प्राथमिकी को चुनौती देकर रद्द करने के साथ याची की गिरफ्तारी पर रोक लगाए जाने की गुजारिश की गई थी।

याची का कहना था कि उन्होंने 13 मई 2021 को एक ट्वीट किया था। इसमें गंगा में बहते शवों की तस्वीर थी। उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर में कहा गया है कि ट्वीट जनवरी 2014 के थे, जिसे उन्होंने हाल का बताकर नफरत फैलाने व तनाव पैदा करने के उद्देश्य से इस्तेमाल किया।

याची की ओर से दलील दी गई कि उसे जैसे ही अहसास हुआ कि फोटोग्राफ का दुरुपयोग हो सकता है, उन्होंने तत्काल अपना ट्वीट डिलीट कर दिया। साथ ही कहा गया कि इसी आरोप में वाराणसी के लंका थाने में भी उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है।

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