उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन के फैजाबाद डिपो में हुए एमएसटी घोटाले में सतर्कता विभाग की जांच में रोडवेज के चार अफसर और दो कर्मचारी दोषी पाए गए। यह अफसर अयोध्या और उन्नाव के हैं, जिन्होंने लगभग 50 लाख रुपए का एमएसटी का घोटाला किया था।
बता दें कि पिछले वर्ष हुए घोटाले में एमएसटी बनाने वाली कंपनी के डिपो हेड समेत चार लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज हुई थी। साथ ही फैजाबाद डिपो के एआरएम सस्पेंड हुए थे। जिसके बाद से एमएसटी बनना बंद है। इससे एक ओर जहां डिपो को प्रतिमाह चार से पांच लाख रुपये की चपत लग रही है। वहीं यात्रियों को एमएसटी के लिए दूसरे जनपदों का सहारा लेना पड़ रहा है। कई बार यात्रियों को समय के अभाव में एमएसटी के बजाय टिकट लेकर यात्रा करनी पड़ रही है।
रोडवेज दैनिक यात्रियों के लिए मासिक पास योजना संचालित करती है। इसमें यात्रियों को किराए में कुछ छूट दी जाती है। पूरे प्रदेश में एमएसटी बनाने का काम ट्राईमेक्स नामक कंपनी देखती है। रोडवेज अधिकारियों की तीन सदस्यीय समिति ने मामले की जांच करने के उपरांत अफसरों समेत कई लोगों को दोषी पाया था। ट्राईमेक्स कंपनी के टीम लीडर पर प्राथमिकी दर्ज होने के साथ ही एआरएम को सस्पेंड किया गया था।
इस पूरे प्रकरण के बाद डिपो में एमएसटी बनना बंद हो गई है। घोटाले के बाद ट्राईमेक्स की ओर से कई बार टीम लीडर नियुक्त किये गए लेकिन कोई भी डिपो आने के बाद टिक नहीं पाया। बताया जाता है कि दो संगठनों की गुटबाजी के चलते ऐसा हो रहा है। मगर एमएसटी नहीं बनने से प्रतिदिन यात्रा करने वाले लोग परेशान हैं। वहीं, डिपो की इनकम भी चार से पांच लाख रुपये प्रतिमाह प्रभावित हो रही है।