कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर ने बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों को भी अपनी चपेट में ले लिया है। राज्य में ग्रामीण इलाकों से बड़ी संख्या में कोरोना संक्रमण के मरीज शहरों के अस्पतालों में आ रहे हैं। हालात बिगड़ते देख बिहार सरकार ने डोर-टू डोर सर्वे करने का फैसला किया है।
बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने सोमवार को बताया कि कोरोना की पहली लहर गांवों तक नहीं पहुंची थी, लेकिन दूसरी लहर गांवों में तेजी से पैर पसारने लगी है, कई जिलों के गांवों में कोरोना के मरीज निकल रहे हैं। इसे देखते हुए सरकार ने घर-घर सर्वेक्षण करने का निर्णय लिया है। उन्होंने बताया कि इसके लिए एक होम आइसोलेशन कोविड ट्रैकिंग ऐप भी बनाया गया है, जिसके जरिए ग्रामीण क्षेत्रों में होम आइसोलेशन में लोगों की लगातार निगरानी और ट्रैकिंग की जाएगी।
स्वास्थ्य विभाग के कार्यकर्ताओं को अभियान में लगाया गया
हालांकि स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि राज्य में कोरोना के मामले लगातार कम हो रहे हैं, लेकिन सतर्क के लिए यह अभियान चलाना जरूरी है। स्वास्थ्य मंत्री पांडे के मुताबिक सरकार ने गांवों में मामलों का पता लगाने के लिए मान्यता प्राप्त स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को तैनात किया है और परीक्षण भी बढ़ाया जा रहा है। बता दें कि बिहार में पिछले एक हफ्ते में कोविड-19 के मामलों में भारी गिरावट देखी गई है। बिहार में बीते 24 घंटें में 5,920 नए मामले सामने आए हैं, जबकि कुल एक्टिव मामले लगभग 70,000 आए। वहीं पॉजिटिविटी रेट 4.72 फीसदी पर आ गई है।
पिछले साल भी सरकार ने चलाई थी मुहिम
गौरतलब है कि पिछले साल पल्स पोलियो अभियान की तर्ज पर कोरोना प्रभावित जिलों में डोर टू डोर स्क्रीनिंग अभियान चलाया गया था। यह अभियान चलाने वाला बिहार देश का पहला राज्य था। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने निर्देश दिया था कि बाहर से आने वाले लोगों की ट्रैकिंग और ट्रेसिंग होनी चाहिए। लिहाजा प्रभावित जिलों में डोर-टू डोर अभियान जरूरी है।
अन्य प्रदेशों से आने वाले श्रमिकों के लिए दो कैटगरी बनाई गई थी। सबसे ज्यादा कोरोना प्रभावित क्षेत्रों से आने वालों को (क) श्रेणी में और सामान्य प्रभावित क्षेत्रों से आने वाले श्रमिकों को (ख) श्रेणी में रखा गया था। (क) श्रेणी वालों को ब्लाक स्तरीय क्वारंटाइन सेंटर में एवं (ख) श्रेणी वालों को होम क्वारंटाइन में रखने का निर्देश दिया गया था।