जन अधिकार पार्टी के प्रमुख और मधेपुरा के पूर्व सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव एक बार फिर से चर्चा में बने हुए हैं। दरअसल, उन्हें पटना के मंदिरी स्थित आवास से पुलिस ने 11 मई को गिरफ्तार कर लिया था, जिसके तुरंत बाद से ही उन्होंने अनशन करने की घोषणा की थी। हालांकि, इसके चार दिन बाद शुक्रवार (14 मई) की शाम को उन्होंने अनशन को समाप्त कर दिया। पप्पू यादव के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर जानकारी दी गई है कि उन्हें किडनी और हार्ट की दिक्कत के अलावा सांस लेने में भी समस्या हो रही है। ऐसे में उन्होंने अपनी बिगड़ती तबीयत और डॉक्टरों की सलाह के आधार पर अनशन खत्म करने का फैसला लिया।
समर्थकों से कोरोना मरीजों की सेवा करने की अपील की
बता दें, फिलहाल पप्पू यादव दरभंगा चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल (डीएमसीएच) में भर्ती हैं और खराब तबीयत को ध्यान में रखते हुए उन्हें डीएमसीएच से पटना के किसी अस्पताल में रेफर किया जा सकता है। वहीं यादव ने अपने समर्थकों से कहा है कि कोरोना मरीजों की सेवा में कोई कमी नहीं होनी चाहिए। इससे पहले उन्होंने कोरोना मरीजों की मदद करने वालों की जांच कराने को लेकर सरकार पर तंज कसा था। पूर्व सांसद ने कहा कि ऑक्सीजन, रेमडेसिवीर, बेड, वेंटिलेटर, आईसीयू और खाना नहीं मिलने से लोग मर रहे हैं, लेकिन इसकी कोई जांच सरकार नहीं करा रही है। उल्टे जो मददगार बन रहा है, उसे ही परेशान किया जा रहा है।
पुलिस ने लॉकडाउन नियमों के उल्लंघन पर हिरासत में लिया था
गौरतलब है कि बिहार के सारण से भाजपा सांसद निधि से खरीदे गए दर्जनों एंबुलेंस को कोरोना महामारी के दौर में भी इस्तेमाल में नहीं लाए जाने का मामला उजागर कर पप्पू यादव ने हाल ही में सुर्खियां बटोरी थीं। इस घटना के बाद पिछले मंगलवार को पटना पुलिस ने यादव को उनके पटना स्थित आवास से लॉकडाउन नियमों के उल्लंघन के आरोप में हिरासत में ले लिया था। बाद में मधेपुरा जिले के कुमारखंड थाने में वर्ष 1989 में दर्ज एक मामले में फरार रहने के आरोप में उन्हें गिरफ्तार करके मधेपुरा पुलिस को सौंप दिया गया था।
भूख हड़ताल पर बैठ गए थे
अदालत ने मंगलवार की देर रात वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये इस मामले की सुनवाई के बाद पप्पू यादव को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में सुपौल जिले के बीरपुर में बने क्वारंटाइन उपकारा में भेज दिया था। गिरफ्तारी के बाद से ही पप्पू यादव अपनी बामारियों का हवाला देते हुए बेहतर चिकित्सा सुविधा की मांग कर रहे थे और भूख हड़ताल पर बैठ गए थे, जिसे बाद में खत्म कर दिया।