साहब, विकास दुबे की मदद न करते तो जान ले लेता, जेल में दर्ज हुए बयान

एनकाउंटर में मारे गए विकास दुबे की मदद करने वाले गुर्गों के बयान चौबेपुर और पनकी पुलिस ने जेल में जाकर दर्ज किए। आरोपितों ने बयान में कबूला कि उन्होंने विकास और उसके गुर्गों की मदद की थी। साथ ही कहा कि अगर वह कुख्यात और उसके गुर्गों की मदद नहीं करते तो वह जान से मार देता। 

एसटीएफ ने एक सप्ताह पूर्व विकास के मददगारों में शिवली निवासी विष्णु कश्यप, धनीरामपुर रूरा निवासी अमन शुक्ला, अभिनव तिवारी उर्फ चिंकू, डंडीकला भिंड निवासी मनीष यादव उर्फ शेरू, करियाझाला झींझक निवासी संजय परिहार, मंगलपुर निवासी शुभम पाल और तुलसीनगर रसूलाबाद निवासी रामजी उर्फ राधे को गिरफ्तार कर शिव त्रिपाठी की सेमीऑटोमेटिक राइफल समेत असलहों का जखीरा बरामद किया था। बिकरू कांड की मूल एफआईआर में नाम बढ़ाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इसके लिए चौबेपुर पुलिस ने जेल में जाकर आरोपितों के बायन दर्ज किए। पनकी पुलिस ने सभी आरोपितों के आर्म्स एक्ट में बयान दर्ज किए हैं। बयानों में यह जानकारी ली गई है कि उनके पास असलहें कहां से कैसे पहुंचे और उन्होंने ठिकाने लगाने के लिए कैसे कैसे उनकी बिक्री या फिर छुपाने का काम किया है।

जय बाजपेई की सील 13 संपत्तियां नहीं होंगी रिलीज

विकास दुबे के खजांची जय बाजपेई की सील चल रही 13 संपत्तियां फिलहाल रिलीज नहीं होंगी। डीएम कोर्ट ने उसकी पत्नी की संपत्तियां रिलीज करने की अर्जी को खारिज कर दिया है। ब्रह्मनगर, चौबेपुर समेत कानपुर जिले में जय, उसकी पत्नी श्वेता और उसके भाइयों के पास 13 संपत्तियां हैं। बिकरू कांड में नाम आने के बाद जय की सभी 13 संपत्तियों को डीएम कोर्ट के आदेश पर तहसील व पुलिस ने सील कर दिया था। जय फिलहाल छह महीने से ज्यादा समय से जेल में है। जय की पत्नी श्वेता ने जिलाधिकारी कोर्ट में सील संपत्तियों को छोड़ने को लेकर एक अर्जी दी थी। जिस पर डीएम कोर्ट ने लगातार सुनवाई की। कई तारीख पड़ने के बाद उनकी अर्जी को डीएम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। डीएम आलोक तिवारी ने बताया कि डीएम कोर्ट में डाली गई श्वेता बाजपेई की संपत्ति रिलीज अर्जी को निरस्त कर दिया गया है।

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