पटना हाईकोर्ट का आदेश, एनकाउंटर में निर्दोष के मारे जाने पर 10 लाख रुपये का मुआवजा दे बिहार सरकार

पुलिस मुठभेड़ के दौरान राहगीर के मारे जाने के मामले में पटना हाईकोर्ट ने बिहार सरकार को चार सप्ताह के भीतर दस लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है। तय समय के भीतर मुआवजे की राशि का भुगतान नहीं करने पर 24 प्रतिशत सालाना ब्याज के साथ भुगतान करना होगा। 

न्यायमूर्ति मोहित कुमार शाह की एकलपीठ ने मृतक के पिता रामानंद राय की ओर से दायर अर्जी पर सुनवाई के बाद यह आदेश दिया। कोर्ट ने 68 पन्नों के आदेश में कहा कि सरकारी अधिकारियों ने माना है कि एनकाउंटर के दौरान गोली लगने से एक राहगीर की मौत हो गई है। एक निर्दोष की मौत गोली लगने से हुई, जबकि देश का संविधान सभी को जीने का अधिकार देता है। सरकारी तंत्र अपने कर्तव्यों का पालन सही तरीके से नहीं कर पाया। किसी के जीवन को नहीं छीना जा सकता। साथ ही आवेदक को दस लाख रुपये का मुआवजा चार सप्ताह के भीतर देने का आदेश देते हुए अर्जी को निष्पादित कर दिया। 

दरअसल, रामानंद राय के पुत्र रणविजय कुमार 28 दिसम्बर 2000 को शाम साढ़े चार बजे अपने दो अन्य छात्रों के साथ कुम्हरार स्थित संदलपुर हॉस्टल जा रहे थे। इसी दौरान कुम्हरार पुलिस पोस्ट के समीप पुलिस और अपराधियों के बीच मुठभेड़ शुरू हो गई। इसी में आवेदक के पुत्र रणविजय कुमार गोली के शिकार हो गये। गोली लगने से उनकी मौत हो गई थी।  

डीएम से लेकर मानवाधिकार आयोग तक लगाई गुहार
मुआवजे के लिए रामानंद राय ने पटना डीएम से लेकर मानवाधिकार आयोग तक गुहार लगाई। कहीं से राहत नहीं मिलने पर उन्होंने हाईकोर्ट की शरण ली। हाईकोर्ट में सरकार की ओर से इस अर्जी का कड़ा विरोध किया गया। साथ ही हाईकोर्ट के कई पूर्व फैसलों का हवाला देते हुए कहा गया कि ऐसी घटना पर मुआवजा नहीं दिया जा सकता। पर, कोर्ट ने कोई दलील नहीं मानी। 

28 दिसम्बर 2000 को कुम्हरार पुलिस पोस्ट के समीप पुलिस मुठभेड़ के दौरान मौत पर मुआवजा देने का आदेश दिया। मुठभेड़ के दौरान गोली लगने से मौत की घटना को लेकर अगमकुआं थाने में कांड संख्या 265/2000 के तहत अज्ञात के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। मृतक के पोस्टमार्टम में मृत्यु का कारण फायर आर्म बताया गया। इसके बाद मृतक के पिता ने मुआवजे की राशि तथा परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने के लिए एक आवेदन पटना डीएम को दिया। आवेदन पर डीएम ने पूरे मामले की जांच करने का जिम्मा पटना सिटी एसडीओ को दिया। 

एसडीओ ने पूरे घटना की जांच का जिम्मा फतुहा सीओ को सौंप दिया। एसडीओ के आदेश पर फतुहा सीओ ने जांच कर अपनी रिपोर्ट में कहा कि स्कूल से वापस लौटते समय पुलिस और अपराधियों के बीच हुई गोलीबारी में एक गोली सीने में लगी, जिससे उसकी मौत हो गई। इसी बीच मृतक के पिता ने मानवाधिकार आयोग में मुआवजे की गुहार लगाई। मानवाधिकार आयोग ने डीएम से जवाब-तलब करते हुये रिपोर्ट तलब किया, लेकिन कहीं से कोई राहत नहीं मिलता देख आवेदक ने हाईकोर्ट में अर्जी दायर कर मुआवजा राशि देने की गुहार लगाई।

इस मामले को लेकर मानवाधिकार आयोग ने राज्य के मुख्य सचिव से जवाब-तलब किया। आयोग ने राज्य सरकार को मानवता के नाते आवेदक को मुआवजा देने की बात कह अपने यहां से मामले को बंद कर दिया। आयोग के निर्देश के साथ सरकार के आला अधिकारियों सहित राष्ट्रपति से गुहार लगाई, लेकिन उसे कहीं से कोई राहत नहीं मिली।

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