उत्तराखंड में कांग्रेस हुई कमजोर, नहीं दे पा रही भाजपा को टक्कर

harish-rawat_1481268942आखिरकार सतत विकास संकल्प यात्रा के समापन समारोह के जरिए भाजपा को जवाब देते कांग्रेस से बन नहीं पाया। 2017 के विधानसभा चुनाव का शंखनाद करने उतरी कांग्रेस अपने में ही उलझ कर रह गई। आपस में उलझने का ही सबब रहा कि कांग्रेस कुमाऊं और खासकर ऊधमसिंह नगर में भाजपा को दमदार चुनौती देने से चूक गई। माना जा रहा है कि यह शो कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष किशोर का था। ऐसे में किशोर का अब और दबाव में आना तय है और सरकार-संगठन के बीच की खाई भी गहरा सकती है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की हल्द्वानी जनसभा का जवाब देने के लिए कांग्रेस ने काशीपुर को चुना। इस समय ऊधमसिंह नगर में कांग्रेस के पास न पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहगुणा हैं और न ही जसपुर के पूर्व विधायक शैलेंद्र मोहन सिंघल। बाजपुर पर कांग्रेस ने भरोसा किया और कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य को रैली का संयोजक भी नियुक्त किया।

किशोर को शायद हल्द्वानी की विधायक और वित्त मंत्री इंदिरा हृदयेश से करीबी, रुद्रपुर के पूर्व विधायक तिलक राज बेहड़ की पकड़ और कांग्रेस की एकजुटता पर भरोसा था। समापन समारोह से एक दिन पहले तक किशोर इस आयोजन के भाजपा की जनसभा से बीस होने का ही दावा कर रहे थे। बृहस्पतिवार को नजारा एकदम दूसरा ही सामने आया। जनसभा के लिए जुटने वाले लोग बिखरे और छितरे हुए रहे। सभा के संयोजक यशपाल आर्य की नाराजगी सामने आई।

दावेदारों का शक्ति प्रदर्शन भी फीका रहा। रणनीतिक तौर पर कांग्रेस का दाव एकदम सही था। शाह की जनसभा के तुरंत बाद कांग्रेस का मैगा शो नैनीताल लोकसभा सीट पर प्रभाव डालता। 2012 में कांग्रेस को ऊधमसिंह नगर से मिली भी सिर्फ तीन सीटें थी। इस वजह से भी कांग्रेस ने इसी लोकसभा सीट पर फोकस किया। इस जनसभा के बाद कांग्रेस को अब नई चुनौतियों का सामना करना होगा। यह चुनौती चुनाव प्रबंधन से लेकर नेताओं की बीच की दरार को पाटने की होगी। जनसभा से यह भी जाहिर हो गया कि सरकार और संगठन के बीच की दरार अभी पूरी भरी नहीं है।

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