रामपुर में 70 साल की दादी ने दिल्ली में पढ़ाई कर रहे पोते को किडनी देकर उसकी उम्र लंबी कर दी। समाज में मिसाल भी कायम करने वाली दादी पोते को किडनी दान करके गांव लौट आई हैं, जबकि पोता अभी नोएडा के अस्पताल में ही भर्ती रहकर स्वास्थ्य लाभ कर रहा है। घर लौटने पर दादी को देखने के लिए आसपास के गांवों की महिलाएं भी आ रही हैं।
धमोरा निवासी राजू गुप्ता कारोबारी हैं। उनका 23 वर्षीय बेटा हर्षित गुप्ता दिल्ली से एमबीए कर रहा था। पिछले साल लॉकडाउन लगा तो उसे घर बुला लिया गया। वह घर ही पढ़ाई पूरी कर रहा था और खेलकूद में भी लगा था। इसी दौरान एक दिन ऐसा आया, जिसने पूरे परिवार को परेशानी में डाल दिया। हर्षित को अचानक चक्कर आने लगा। पहले गांव में ही चिकित्सक को दिखाया, उसने ब्लड प्रेशर काफी बढ़ा हुआ बताया। इस पर परिजन हर्षित को रामपुर ले आए, जहां उसकी और भी कई जांचें कराई गईं। जांच रिपोर्ट देख परिवार के पैरों से जमीन खिसक गई। पता चला कि हर्षित की किडनी काफी हद तक खराब हो चुकी हैं और ट्रांसप्लांट कराना होगा। जवान बेटे की किडनी खराब कैसे हो गईं, इसी सोच में डूबे परेशान परिवार ने किडनी ट्रांसप्लांट की तैयारी शुरू की। इसको लेकर परिवार टेंशन में था, लेकिन दादी शशि गुप्ता हिम्मत दिखाते हुए किडनी देने को तैयार हो गईं। हर्षित और दादी की किडनी को लेकर जांच शुरू हुईं। कई तरह की जांच के बाद दादी पूरी तरह फिट पाई गईं और दिल्ली के एक निजी अस्पताल में दादी की किडनी पोते हर्षित को ट्रांसप्लांट कर दी गई। दादी और पोते दोनो ही स्वस्थ हैं, लेकिन 70 साल की उम्र में किडनी देने वाली दादी ने समाज में दादी-पाते के रिश्ते की नई मिसाल कायम कर दी है।
पहले मां ने लिया था किडनी देने का फैसला
कारोबारी राजू गुप्ता बताते हैं कि हर्षित की मां भी अपने जिगर को किडनी देने को तैयार थीं। उनकी भी जांचें शुरू की गईं, लेकिन वह इसके लिए फिट नहीं बैठीं। जांच से पता चला कि उनका लीवर फैटी है, इसलिए उसका इलाज कराने की जरूरत हो सकती है। बाद में भी इलाज कराना होता इसलिए चिकित्सकों ने उनकी किडनी को ट्रांसप्लांट करने से मना कर दिया, लेकिन 70 साल की उम्र में भी दादी पूरी तरह फिट साबित हुईं।
रहना पड़ा साथ-साथ
किडनी ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया शुरू करने से लेकर आखिर तक दादी-पाते को साथ-साथ रहना पड़ा। इसके लिए नोएडा की पॉश कालोनी में फ्लैट लिया गया, जहां चिकित्सक के मानक के हिसाब से सुविधाएं जुटाई गईं। सेनिटाईजेशन आदि किया जाता रहा। जांचें मैच करने के बाद ही ट्रांसप्लांट किया गया।