7 लोगों को जिस दिन उतारा था मौत के घाट तब दो महीने की गर्भवती थी शबनम

सलीम के प्यार में अंधी होकर शबनम ने 13 साल पहले अपने परिवार के 7 सदस्यों को मौत के घाट उतार दिया। शबनम आजकल रामपुर की जेल में आखिरी दिन गिन रही है। आज जब शबनम की फांसी की सजा का दिन करीब आने वाला है तो एक बार अमरोहा के इस दिल दहला देने वाली वारदात की चर्चा होने लगी है। 13 साल पहले, जिस दिन दोनों ने इस वीभत्स घटना को अंजाम दिया तब शबनम दो महीने की गर्भवती थी। शबनम ने जेल में ही बच्चे को जन्म दिया।

अमरोहा जिले के बावनखेड़ी निवासी शिक्षक शौकत अली अपनी पत्नी हाशमी, बेटा अनीस, राशिद, पुत्रवधु अंजुम, बेटी शबनम व 10 महीने के मासूम पौत्र अर्श के साथ रहते थे। इकलौती बेटी शबनम एमए पास करने के बाद शिक्षामित्र हो गई। शबनम का प्रेम प्रसंग गांव के ही 8वीं पास युवक सलीम से शुरू हो गया। दोनों शादी करना चाहते थे, लेकिन परिजनों को यह मंजूर नहीं था।

इश्क का भूत ऐसा सवार हुआ कि शबनम ने अपने प्रेमी सलीम के साथ मिलकर 14 अप्रैल 2008 को अपने परिवार के सात लोगों की हत्या कर दी। वारदात के चार दिन बाद पुलिस ने प्रेमी युगल को गिरफ्तार कर इस सनसनीखेज वारदात का खुलासा किया था। दोनों ने मिलकर कुल्हाड़ी से मासूम समेत सभी को काट दिया था। 

डेढ़ साल के भतीजा का गला घोंटते वक्त नहीं कांपे थे हाथ
उस वक्त शबनम की उम्र महज 17 साल थी। शबनम के दिलोदिमाग में इस कदर खून सवार हो गया था कि डेढ़ साल के अपने भतीजे का गला घोंटते वक्त भी उसके हाथ नहीं कांपे थे। सवाल था कि सलीम ने उसे मारने से मना किया था तो फिर आखिर शबनम ने मासूम की जान कैसे ले ली। शबनम ने इसके बारे में पुलिस को पूछताछ में बताया था।

शबनम की फांसी की तैयारी शुरू
राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका खारिज होने के बाद रामपुर जेल में बंद शबनम को फांसी देने की तैयारी शुरू हो गई है। मथुरा स्थित फांसी घर में साफ-सफाई, लीवर और तख़्त को ठीक करने का काम किया जा रहा है। साथ ही बक्सर जेल को फंदे का आर्डर भी दे दिया गया है। साथ ही मेरठ का पवन जल्लाद दो बार मथुरा जेल का दौरा भी कर चुका है।

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