उत्तर प्रदेश का मलिहाबाद, जो देशभर में अपनी आम की वैरायटी के लिए मशहूर है। अब बिजनौर जिले में भी ऐसी ही स्थिति हो गई है। यहां के किसान आम की तमाम वैराइटी उगा रहे हैं। यहां 15 हजार हेक्टेयर में बागवानी शुरू हो चुकी है। 9 हजार हेक्टेयर में आम की फसल हो रही है। इस बार के आम कुछ ज्यादा ही खास हैं। इनकी क्वालिटी इतनी बेहतर है कि गल्फ कंट्रीज में भी सप्लाई शुरू हो गई है। पहली खेप सऊदी अरब के लिए रवाना की जा चुकी है। दुबई से भी ऑर्डर यहां के एक्सपोर्टर्स को मिले हुए हैं। हिंदुस्तान एग्रो द्वारा वर्तमान मंडी रेट से 3 रुपए प्रति किलोग्राम बढ़ाकर आम खरीदे गए हैं।
बिजनौर में आम की दशहरी, लंगड़ा और कलमी किस्म की खूब पैदावार होती है। जिला प्रशासन लंबे समय से किसानों को नया बाजार उपलब्ध कराने का प्रयास कर रहा था जो अब सफल हो गया है। दरअसल, बिजनौर का आम पहली बार विदेशों में निर्यात शुरू हो गया है। कस्बा मंडावर स्थित मैसर्स हिंदुस्तान एग्रो द्वारा सऊदी अरब और दुबई में पहली बार आम को निर्यात किया गया। 22 जून को तोड़े गए आम को अगले दिन 23 जून को लखनऊ एयरपोर्ट से रवाना किया गया। आम की पहली खेप 24 जून को सऊदी अरब के जेद्दा पहुंच गई और आमों को वहां के बाजार में उतार दिया गया।
पहली खेप में 40 क्विंटल आम भेजे गए
जिला कृषि अधिकारी डॉ. अवधेश मिश्र और मैसर्स हिंदुस्तान एग्रो के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉक्टर मोहम्मद शोएब ने कहा कि आम पहली बार विदेशों में एक्सपोर्ट किया जा रहा है। इससे जनपद के किसानों का लाभ होगा और जनपद की ख्याति भी बढ़ेगी। सउदी अरब और दुबई को रवाना हुई पहली खेप में 40 क्विंटल दशहरी आम भेजा गया है। पहली खेप का ऑर्डर सऊदी अरब स्थित ब्लू फैरोज ट्रेडिंग कंपनी से मिला था। बताया गया कि अन्य गल्फ देशों में भी आम निर्यात का ऑर्डर मिला है।
- 9200 हेक्टेयर में आम की पैदावार
- जिले में 15 हजार हेक्टेयर में बागवानी
- जिले में 1,17552 मीट्रिक टन की फसल, जो प्रति हेक्टेयर 12,85 मीट्रिक टन
बिजनौर में आम की प्रजाति
- दशहरी
- फजरी
- काला कलमी
- सफेदा
- तोतिया
- सिंदूरी
- शहद कुप्पी
उत्पादन के लिए एसपीओ का गठन
जिला कृषि अधिकारी के मुताबिक जनपद की मुख्य फसलें गन्ना एवं आम हैं और जनपद के आम की गुणवत्ता भी उचित स्तर की है। इसको देखते हुए आम की पैदावार या निर्यात के लिए प्रयास चल रहा था। जो अब सफल हुआ है। आम की खेती को बढ़ावा देने के लिए मोहम्मद शोएब के नेतृत्व में एसपीओ का भी गठन किया जा रहा है जिससे आम उत्पादक किसानों को अधिक लाभ प्राप्त हो सके।
यहां आम की पैदावार ज्यादा
- नांगल
- मंडावर
- किरतपुर
- रतनगढ़
- मंडावली
- नहटौर
- नांगल
- बढ़ापुर
- नगीना
- अकबराबाद
- चांदपुर
- नूरपुर झालू
प्रदेश सरकार दे रही अनुदान
जिला उद्यान अधिकारी जितेंद्र कुमार ने कहा कि आम की उपज बढ़ाने और किसानों की आर्थिक मदद के लिए प्रदेश सरकार द्वारा अनुदान दिया जा रहा है। बिजनौर के उप कृषि निदेशक गिरीश चंद ने कहा कि मोहम्मद शोएब द्वारा पहली बार बिजनौर का आम निर्यात किया जा रहा है। जोकि सराहनीय कदम है। यह न केवल जनपद के आम उत्पादक कृषकों के लिए लाभकारी होगा बल्कि जनपद की ख्याति भी विदेशों में बढ़ेगी।
किसान बोले, आम की फसल में सबसे ज्यादा मुनाफा
आम के किसान आमिर खान का कहना है कि उनका 200 बीघा का बाग है जिसको 30 लाख में एक साल के लिए देते हैं। आम की फसल से ज़्यादा किसी और फसल में मुनाफा नही है। इसमें मेहनत कम आमदनी ज़्यादा होती है। वहीं, दूसरे किसान हाजी तहज़ीब,असलम का कहना है आम का बाग लगाने के बाद 10 साल में फसल आनी शुरू होती है और 50 साल तक फसल आती रहती है। अगर कोई पेड़ खराब हो जाए तो उसे निकाल कर दूसरा लगा दिया जाता है।
आम को विदेश तक भेजने की पूरी प्रकिया
- विदेश भेजने के लिए सबसे पहले आम को तोड़ लिया जाता है। फिर एक-एक करके हर आम के वजन की नापतौल होती है।
- प्रत्येक आम को उसके वज़न के हिसाब से अलग किया जाता है।
- आमों की धुलाई के बाद सुखाकर हिंदुस्तान एग्रो द्वारा भेजे गए एक बॉक्स में पैक किए जाते हैं। एक बॉक्स में 4.5 किलो आम होते हैं।
- आमतौर पर आमों की धुलाई व सुखाई का प्रोसेस पैकिंग हाउस पर कराया जाता है, लेकिन बिजनौर क्षेत्र में पैकिंग हाउस ना होने के कारण आमों की धुलाई व सुखाई हाथों से ही की जाती है।