स्थायी कमीशन प्रकरण : लखनऊ की बेटी ने तोड़ा बेटियों के लिए बंद सेना का ‘आखिरी द्वार’

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लखनऊ- सैन्य बलों में महिलाओं को स्थायी कमीशन का फैसला सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे ही नहीं सुनाया। शार्ट सर्विस कमीशंड  जैसी दोयम दर्जे की इंट्री के बावजूद संकट के समय जांबाजी का परिचय देने वाली दस महिला सैन्य अफसरों के जीते-जागते उदाहरण आईने के रूप में दिखाए गए। एक-एक की बहादुरी के किस्से मिसाल के रूप रक्खे। जिक्र महिलाओं की जांबाजी के चला तो नाम अपने शहर की बहादुर बेटी और फ्लाइंग ऑफीसर रहीं गुंजन सक्सेना का भी छाया रहा। पुरजोर ढंग से बताया गया, किस तरह गुंजन ने कारगिल युद्ध में चीता हेलीकॉप्टर से पाकिस्तानी गोलीबारी के बीच घायल भारतीय जवानों को लेकर अस्पताल पहुंचाया…।

पुरुषों सैन्यकर्मियों के मुकाबिल हर मोर्चे पर शौर्य का प्रदर्शन करने वाली फ्लाइंग ऑफिसर गुंजन सक्सेना की सेना में इंट्री नियमों से बंधकर हुई। उन्हें शार्ट सर्विस कमीशंड  ही मिला। वे 14 साल तक ही सेना में सेवाएं दे पाईं। हालांकि, सैनिक नगर कॉलोनी निवासी गुंजन की इच्छा लंबे वक्त तक देश की सेवा करने की थी। मौजूदा वक्त में गृहणी गुंजन चाहती हैैं कि उनकी बेटी भी फाइटर प्लेन पायलट बने। नए फैसले से उसे कम वक्त में नौकरी छोडऩे का मलाल नहीं रहेगा।

जानें गुंजन की जांबाजी

कारगिल युद्ध के विषम हालात में दुश्मनों की गोलीबारी के बीच फ्लाइंग ऑफिसर लगातार 20 दिनों तक चीता हेलीकॉप्टर से उड़ान भरती रही। उनके जीवन पर आधारित फिल्म कारगिल गर्ल बन रही है। जिसमें गुंजन सक्सेना का किरदार जान्हवी कपूर अदा कर रही हैं।  गुंजन के एकलौते बड़े भाई ले. कर्नल अंशुमल सक्सेना हैं। जबकि उनके पति भी भारतीय वायुसेना में एक हेलीकॉप्टर यूनिट में जांबाज पायलट हैं। जून 1996 में फ्लाइंग ऑफिसर के रूप में गुंजन सक्सेना ने शार्ट सर्विस कमीशंड हासिल किया था। सन 1999 में कारगिल में उनका एयरबेस था। उस समय फ्लाइंग ऑफिसर गुंजन सक्सेना ही थी जिनको पूरे इलाके की जानकारी थी। वह एकमात्र महिला पायलट थीं जिनके नेतृत्व में घायल जवानों को गोलीबारी के बीच रणभूमि से लेकर अस्पतालों तक पहुंचाया जा सका।

हौसले की लंबी फेहरिस्त

  • लखनऊ स्थित मध्य कमान मुख्यालय, मध्य यूपी सब एरिया, 11 गोरखा राइफल्स रेजीमेंटल सेंटर सहित कई रेजीमेंट में महिला सैन्य अधिकारी हैं।
  •  ये सभी एजूकेशन कोर, सर्विस कोर, सिग्नल कोर सहित कई यूनिटों में कमीशंड पाई है।
  • शार्ट सर्विस कमीशन के कारण उनकी सेवानिवृत्ति भी 15 साल के भीतर हो जाती हैं। मेजर तक ही प्रमोशन मिलता है।
  • सुप्रीम कोर्ट का हालिया फैसे से यह भेदभाव दूर होगा। बेटियों के लिए उम्मीद की नई राह खुलेगी।
  • कैप्टन मनोज पांडेय यूपी सैनिक स्कूल ने सेना पुलिस में पहली बार बेटियों को मौका दे दिया है।

 

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