सुप्रीम कोर्ट के फ़रमान के बावजूद मायावती ने मांगा धर्म, जाति के नाम पर वोट

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सुप्रीम कोर्ट ने कल ही धर्म और जाति के आधार पर वोट मांगने पर रोके लगाई थी लेकिन बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस में धर्म और जाति के नाम पर वोट माँगा। मायावती ने कहा कि उत्तरप्रदेस में समाजवादी पार्टी में मचे घमासान के बाद यादव वोट आखिलेश और शिवपाल गुट में बंट गया है इसलिये मुसलमान इन्हें वोट देकर अपना वोट न बर्बाद करें।

मायावती ने कहा कि यादव वोट सिर्फ 5 से 6 प्रतिशत है और 403 में से सिर्फ 60 से 70 सीटो पर ही निर्णायक साबित होता है जबकि हमारा  दलित वोट सभी 403 सीटों को प्रबावित कर सकता है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस आक्सीजन पर चल रही है और मुसलमान उसे वोट देकर अपना वोट बेकार करने की बजाय बीएसपी को दें।

 

ग़ौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने सोमवार को ऐतिहासिक फैसला देते हुए कहा कि धर्म के नाम पर वोट मांगना गैरकानूनी है। सात जजों की संविधान पीठ ने हिन्दुत्व केस के मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि प्रत्याशी या उसके समर्थकों के धर्म, जाति, समुदाय, भाषा के नाम पर वोट मांगना गैरकानूनी है। कोर्ट ने कहा कि चुनाव एक धर्मनिरपेक्ष पद्धति है। सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने 4:3 से यह फैसला लिया।

कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि चुनाव एक धर्मनिरपेक्ष प्रणाली है। इस आधार पर वोट मांगना संविधान की भावना के खिलाफ है। जन प्रतिनिधियों को भी अपने कामकाज धर्मनिरपेक्ष आधार पर ही करने चाहिए। आने वाले पांच राज्‍यों में इसका असर होने की संभावना है।

दरअसल सुप्रीम कोर्ट में इस संबंध में एक याचिका दाखिल की गई थी, इसके तहत सवाल उठाया गया था कि धर्म और जाति के नाम पर वोट मांगना जन प्रतिनिधित्व कानून के तहत गलत आचरण है या नहीं। जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा-123 (3) के तहत ‘उसके’ धर्म की बात है और इस मामले में सुप्रीम कोर्ट को व्‍याख्‍या करनी थी कि ‘उसके’ धर्म का दायरा क्या है? प्रत्याशी का या उसके एजेंट का भी।

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