रेलकर्मियों को छुट्टी से लौटने पर आज भी मानना पड़ता है अंग्रेजों के जमाने का नियम, देना पड़ता है ये ‘आश्‍वासन’

रेल परिचालन से जुड़े अफसरों और कर्मचारियों की ड्यूटी अंग्रेजों के जमाने से दिए जाने वाले आश्वासन की कुंजी से खुलती है। अधिकारी या कर्मचारी 15 दिन या उससे अधिक की छुट्टी से लौटते हैं तो उन्हें आश्वासन रजिस्टर में दर्ज करना होता है कि ड्यूटी की उनकी दक्षता बरकरार है। ट्रेन संचलन में प्रयोग की जाने वाली तकनीक को भूले नहीं है। यदि अफसर या कर्मचारी तनिक भी हिचकिचाहट दर्शाता है तो उसे एक सप्ताह के लिए प्रशिक्षण पर भेज दिया जाता है। लौटने के बाद फिर आश्वासन रजिस्टर भरने के बाद ही ज्वाइनिंग होती है। गोरखपुर जंक्शन पर ही कोरोना काल में सात लोगों को प्रशिक्षण पर भेजा गया है।

रेल परिचालन के कुछ नियम-कायदे अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे हैं। इन नियम कायदों के अनुपालन में आज भी पूरी सख्ती बरती जाती है। इन्हीं में से एक नियम है आश्वासन देना। इसके लिए बाकायदा स्टेशनों पर आश्वासन रजिस्टर होते हैं। चूंकि रेल परिचालन पूरा प्वाइंट और सिग्नल के कोड पर निर्भर है। ऐसे में लंबे अवकाश की वजह से इनके भूलने की आशंका रहती है। किसी छोटी सी चूक की वजह से बड़ा हादसा न हो, इसके लिए आश्वासन का नियम आज भी सख्ती से लागू है।

नए कर्मचारी मांगते हैं प्रशिक्षण
गोरखपुर जंक्शन पर अप्रैल से दिसंबर तक के बीच में सात लोगों को आश्वासन देने में हिचकिचाहट पर प्रशिक्षण के लिए भेजा गया। ये अधिकारी-कर्मचारी 15 दिन से लेकर एक महीने तक की छुट्टी के बाद लौटे थे। इसी तरह बस्ती, देवरिया, गोण्डा समेत एक दर्जन स्टेशनों पर दर्जनभर को प्रशिक्षण दिलाया गया। इनमें ज्यादातर नए सहायक स्टेशन मास्टर और प्वाइंटमैन रहे। पुराने अधिकारियों और कर्मचारियों के सामने बहुत कम इस तरह की दिक्कत आती है।

अंग्रेजों के समय से है नियम
स्टेशन प्रबंधन के अनुसार आश्वासन रजिस्टर पर आश्वासन देने की परम्परा अंग्रेजों के समय से ही चल रही है। यह परम्परा आज भी पूरी तरह से बरकरार है और कड़ाई से इसका पालन कराया जाता है।

ताकि न हो कोई चूक
स्टेशन प्रबंधन ने बताया कि ऐसा इसलिए है ताकि किसी भी स्टाफ से ट्रेन संचलन में कोई चूक न हो। लम्बी छुट्टी के बाद यह देखा जाता है कि जो मैनुअल बने हुए हैं वह संबधित स्टाफ को पूरी तहर से पता है या नहीं।

सुरक्षा और संरक्षा के लिए आश्वासन रजिस्टर की व्यवस्था का सख्ती से पालन कराया जाता है। लंबे समय तक अभ्यास न होने से नियम और तकनीक भूलने का डर रहता है। ऐसे में ड्यूटी पर लौटते समय कर्मचारियों को बताना होता है कि वे काम करने में पूरी तरह दक्ष हैं।

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