रियल स्टेट में मल्टी लेवल मार्केटिंग गैरकानूनी, लोगो की डूब रही है गाढ़ी कमाई

IMG_20161114_184553अशोक कुमार गुप्ता सम्पादक (एलएनटी )लखनऊ |लखनऊ  में अगर प्लाट खरीदने की सोच रहे है तो सावधान हो जाइए कही आपकी  जिन्दगी की गाढ़ी कमाई डूब न जाए | अगर कोई प्रापर्टी डीलर बिना नक्शा पास कराए और बिना प्लाटिंग किए खेत दिखाकर प्लाट बेच रहा है तो उससे सावधान हो जाए | इस में चाहे आपका सगे सम्बन्धी ही प्लाट क्यों न लिए हो आप जांच परख कर ही  खरीदे  | रियल स्टेट के धंधे में मल्टी लेवल मार्केटिंग के जरिए प्लाट की बिक्री की जा रही है जो गैरकानूनी तो है ही इस माध्यम में ईमानदारी बहुत कम है | पेश है ख़ास रिपोर्ट ………….

PLOTरियल इस्टेट के मल्टी लेवल मार्केटिंग के  धंधे में 70 फीसदी खिलाड़ी फाउल खेल रहे हैं। मसलन न उनके पास योजना है, ननक्शा है और न ही मानक पूरे हैं। यह मल्टीलेवल मार्केटिंग का जरिया बन चुका है। एक प्लॉट खरीदिए और इसके बाद जितने लोगों को प्लॉट खरीदने के लिए पंजीकरण करवाएंगे, आपको उतना कमीशन मिलता रहेगा। आपका लाखों रुपये का प्लॉट मुफ्त भी हो सकता है। यह एक ऐसा ऑफर है, जिसके झांसेमें आकर सैकड़ों लोग पहले खुद फंसे और फिर अपने नाते रिश्तेदारों को भी फंसा दिया। कंपनी पंजीकरण कराकर अपनी जेब भरती रही और प्लॉट देने की तारीख लगातार आगे बढ़ाती रही। सस्ते प्लॉट के लालचमें लोग इंतजार भी करते रहे और आखिर में कंपनी ने उन्हें पुरानी साइट पर प्लॉट देने से इनकार करदिया। आवंटी अब दर-दर भटक रहे हैं लेकिन कहीं सुनवाई नहीं हो रही। अब तक चार से अधिक कंपनियोंके खिलाफ मुकदमे हो चुके हैं और हजारों निवेशकों की करोड़ों की कमाई डूब चुकी है।
ऐसे करें जमीन की जांच
रजिस्ट्री ऑफिस या तहसील कार्यालय में भी जमीन की पड़ताल की जा सकती है। रजिस्ट्री ऑफिस में 11 साल के अंदर खरीदी और बेंची गईं जमीनों का इंडेक्स रजिस्टर होता है। इस इंडेक्स से खसरा नंबर यारजिस्ट्री की कॉपी दिखाकर जमीन के मालिक और इसकी खरीद फरोख्त के बारे में पड़ताल की जा सकतीहै। इसके लिए 11 रुपये फीस जमा करनी पड़ती है। इसके अलावा तहसील स्तर से भी जमीन से जुड़ीजानकारी मिल सकती है। इसके लिए रजिस्ट्रार कानूनगो कार्यालय या लेखपाल से मिलकर और तय फीसदेनी पड़ती है। इसके अलावा कलेक्ट्रेट स्थित अभिलेखागार (रेकॉर्ड रूम) में जमीन से जुड़े 50 साल तक केजमीनी दस्तावेजों की जांच पड़ताल की जा सकती है। वहीं, खतौनी की जांच के लिएwww.bhulekh.up.nic.in पर भी क्लिक किया जा सकता है।
मुश्किल हो जाएगा संभालना
लखनऊ सीमा से सटे हुए गांवों में दर्जनों बिल्डर हाईटेक टाउनशिप का विज्ञापन कर प्लॉट बेच रहे हैं।इनमें से कुछ का खुलासा हो चुका है और उनके खिलाफ सैकड़ों मामले थानों में दर्ज हैं। जानकारों की मानेंतो आने वाले पांच साल के भीतर ही इन इलाकों में कानून व्यवस्था के लिए भारी चुनौती पैदा होगी।आशंका है कि इन इलाकों में जमीन का धंधा करने वाले ज्यादातर बिल्डर जमीनें बेचने के बाद भागने कीफिराक में हैं।
प्लानिंग के लिए यह जरूरी
– जिला पंचायत क्षेत्र में प्लानर की सोसाइटी रजिस्ट्रर्ड होनी चाहिए।
– प्लानिंग एरिया में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट होना चाहिए।
– सीसी रोड या फिर डामर रोड बनी हो।
– बिजली पोल और ट्रांसफार्मर होने चाहिए।
– प्लानिंग के हिस्से में पार्क की जमीन छोड़ी गई हो।
– प्लानिंग का नक्शा पास हो।
– कुल प्लानिंग एरिया का 35 फीसदी हिस्सा इन सभी चीजों के लिए छोड़ा जाना जरूरी है।
प्लाटिंग के मानक
प्लाटिंग की जा रही जमीन का भूमि उपयोग परिवर्तन कराया गया हो। इसके अलावा जमीन की रजिस्ट्रीके पेपर और अगर प्लानर ने कोई सोसाइटी बना रखी है तो सोसाइटी का पेपर देना जरूरी है। प्लानिंग का स्वीकृत नक्शा, प्लानर का बैंक अकाउंट नंबर और जमीन के दाखिल-खारिज के दस्तावेज भी जरूरी होतेहैं। हालांकि, ज्यादातर प्लानर ऐसा नहीं कर रहें हैं, जो जिला पंचायत के नियमों के विरुद्ध है। ऐसे मामलेजब जिला पंचायत के सामने आते हैं तो वह सिर्फ नोटिस जारी कर जिम्मेदारी की खानापूर्ति कर देते हैं।ज्यादा जरूरत पड़ने पर डिस्ट्रिक्ट बोर्ड एक्ट के तहत चालान कटाने की कार्रवाई कर दी जाती है।
किस्त और तुरंत में अंतर
रियल इस्टेट के विशेषज्ञ अनिल सिंह   का कहना है कि प्लॉट खरीदते समय विशेषसावधानी बरतनी चाहिए। अगर कोई बिल्डर किस्तों में भुगतान करने की सुविधा देने और पूरा भुगतानहोने के बाद रजिस्ट्री का वादा करे तो समझ लीजिए कि मामले में कुछ पेंच है। प्लाटिंग करने वाले अगरतुरंत कब्जा देकर रजिस्ट्री करा रहे तों तो यह ठीक हो सकता है, लेकिन कब्जा लेते समय देख लें कि जमीनका 143 (भू-उपयोग परिवर्तन) और दाखिल खारिज हुआ है या नहीं। साथ ही सड़क अगर 20 फीट से कमहै तो बाद में दिक्कत हो सकती है। नक्शा पास होने में दिक्कत आ सकती है।

हाल फिलहाल सामने आए मामले
4 दिसंबर 2013 : टिस्का एवं परिशिष्ट कंपनी के खिलाफ मुकदमा। दोनों कंपनियों ने लखनऊ सीमा परसस्ते प्लॉटों का झांसा देकर सैकड़ों लोगों को लाखों का चूना लगाया। इस ठगी के मामले में चार दिसंबर सेअब तक 50 के आसपास पीड़ित रिपोर्ट दर्ज करा चुके हैं।
7 अक्टूबर 2012 : मल्टी लेवल पार्मेटिंग के जरिये सस्ते और किस्तों में प्लॉट देने का दावा करने वालीकंपनी मैपल्स के खिलाफ गाजीपुर थाने में मुकदमा दर्ज। करीब 200 पीड़ितों ने गाजीपुर थाने में कंपनी केखिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया है।
11 दिसंबर वर्ष 2011 : गुडम्बा थाने में मैग्नम कंपनी के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज हुई। कंपनी पर लोगों कोसस्ते प्लॉट का झांसा देकर लाखों रुपये ठगने का आरोप है। रियल इस्टेट की अग्रणी कंपनी होने का दावाकरने वाली इस कंपनी के झांसे में सैकड़ों लोग आए थे।
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लख़नऊ की रियल स्टेट की जानकारी रखने वाली टीम से सम्पर्क करे—9807029121

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