अशोक कुमार गुप्ता,लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सोमवार को नायक पिक्चर के हीरो की तरह लखनऊ के गोमती रिवर फ्रंट पहुंचे जहां पर वह अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की और उनके साथ उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा, स्वाति सिंह, रीता बहुगुणा जोशी और ब्रजेश पाठक भी मौजूद रहे।
योगी आदित्यनाथ की इस बैठक का मकसद परियोजना से जुड़़ी जानकारियों के बारे में जानना है और इस बैठक में रिवर फ्रंट से जुड़े़ हुए इंजीनियर और अधिकारी भी मौजूद रहे उन्होंने अफसरों से रिवर फ्रंट परियोजना की पूरी डीटेल मांगते हुए कहा की वह प्रॉजेक्ट के एक-एक पैसे का पूरा हिसाब दें।
योगी ने सोमवार को पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का ‘ड्रीम प्रोजेक्ट’ रहे ‘गोमती रिवर फ्रंट विकास परियोजना’ का निरीक्षण किया और उसकी प्रगति पर असंतोष व्यक्त किया। योगी ने करीब 1500 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाली गोमती रिवरफ्रण्ट परियोजना का निरीक्षण करते हुए कहा कि मई 2017 तक पूरी हो जाने वाली इस परियोजना का अभी तक 60 फीसदी से भी कम काम हो पाया है। इस पर अब तक 1427 करोड़ रुपये खर्च हो चुकने के बावजूद विभाग द्वारा लगभग 1500 करोड़ रुपये अतिरिक्त उपलब्ध कराने की मांग की जा रही है। योगी ने इस बात पर नाराजगी व्यक्त की कि लगभग 1400 करोड़ रुपये से अधिक व्यय करने के बाद भी गोमती नदी में गिरने वाले नालों को रोका नहीं जा सका है। कार्यदायी संस्थाओं ने फव्वारे जैसे गैर-जरूरी कामों पर जनता की गाढ़ी कमाई को खर्च कर दिया और लखनऊ की जनता को इसका कोई लाभ भी नहीं मिल पा रहा है। मालूम हो कि गोमती रिवरफ्रण्ट पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की स्वप्निल परियोजना थी।
मुख्यमंत्री ने परियोजना की प्रगति एवं इसकी उपादेयता के प्रति असंतोष व्यक्त किया और गोमती नदी को गंगा की सहायक नदी बताते हुए कहा कि इस परियोजना को ‘नमामि गंगे’ परियोजना से जोड़कर नदी में गिरने वाले सभी गन्दे पानी के नालों को बन्द करने की दिशा में काम किया जाना चाहिए था, जिससे नदी की अविरलता बनाये रखने एवं पानी को शुद्घ करने में मदद मिलती, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। योगी ने निर्देशित किया कि सबसे पहले गन्दे नालोें को नदी में गिरने से रोकने के लिए निर्माणाधीन सेप्टिक ड्रेन का काम आगामी मई तक पूरा कराया जाए। इसके साथ ही, दोनों तरफ बन रहे डाइफ्राम वॉल को कलाकोठी तक बढ़ाया जाए।
गोमती रिवर फ्रंट परियोजना का लोकार्पण 16 नवंबर 2016 को तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने किया था। परियोजना अभी भी अधूरी है। अखिलेश ने अपने इस ड्रीम प्रॉजेक्ट के लिए करीब 1500 करोड़ रुपये का भारी भरकम बजट बनाया था। अब तक इस पर करीब 900 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं।