यूपी पंचायत चुनाव: आरक्षण फार्मूले में देरी से दावेदार परेशान, चुनाव लड़ पाएंगे या नहीं यहीं जानने को परेशान

पंचायत चुनाव को लेकर आरक्षण तय होने में हो रही देरी ने दावेदारों की धड़कनें बढा दी हैं। आरक्षण फॉर्मूला आने में अभी 15 दिन और लगेंगे लेकिन, सत्ता के गलियारों से आ रही खबरों के अनुसार, आरक्षण के चलते इस बार दिग्गजों को झटका लगना तय है। पंचायतीराज मंत्री के ही अनुसार, 70 प्रतिशत सीटों पर बदलाव हो सकता है। 

उत्तर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनव होने की तैयारी जोरों पर चल रही है। गांव गांव दावेदारों की लंबी सूची हैं। कुछ खुलकर सामने आ गए है तो कुछ दबी जुबान में तैयारी कर रहे है। लेकिन सभी की एक नजर आरक्षण के फार्मूला पर लगी हैं। हालांकि ज्यादातर दावेदारों के पास बी-प्लान भी हैं कि मेरा नहीं आया तो तेरा सही। एक दूसरे का समर्थन करने की भी बुनियाद तैयार की जा रही हैं। समर्थक भी असमंजस में हैं और कोई किसी को नाराज नहीं कर रहा हैं। लेकिन इंतज़ार जितना बढ़ता जा रहा हैं, दावेदारों की धड़कनें उतनी ही तेज होती जा रही हैं। 2015 में ग्राम पंचायतों में आरक्षण शून्य किया गया था। जो भी बड़ी वजह है कि उम्मीदवारों की उलझन और ज्यादा बढ़ गई है।

पश्चिम यूपी में किसानों के सहारे चुनाव की तैयारी : 

किसान आंदोलन और भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत की आंखों में आंसुओं ने अचानक सभी पार्टियों के एजेंडे में किसानों को शामिल कर दिया है। पार्टियों ने किसानों के सहारे ही पंचायत चुनाव की तैयारी तेज कर दी है। रालोद के राष्ट्रीय प्रवक्ता जयंत चौधरी ने तो मथुरा की पंचायत में ऐलान कर दिया कि पंचायत चुनाव में जिला पंचायत में हर एक सदस्य किसान को चुना जाए। उधर, कई अन्य पार्टियों ने भी तैयारी तेज कर दी है। किसान आंदोलन के बीच अब तेजी से पंचायत चुनाव की तैयारी चल रही है। भाजपा, सपा, कांग्रेस, रालोद, बसपा ने तो तैयारी शुरू कर ही दी है। अब किसानों के मामले को लेकर अपना दल(एस), राष्ट्रीय एकता पार्टी, आजाद समाज पार्टी, बहुजन मुक्ति पार्टी समेत कई पार्टियां भी सामने आ गई हैं। गांव-गांव प्रचार किया जा रहा है। किसानों के नाम पर गांव-गांव में अब संभावित प्रत्याशी तय किये जा रहे हैं।

भाजपा की ओर से अब जिला प्रभारियों की घोषणा कर कार्रवाई तेजी से की जा रही है। वहीं भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मेरठ और सहारनपुर मंडल का जायजा ले चुके हैं। शनिवार को मथुरा में रालोद की किसान पंचायत के बाद तो किसानों की गांवों में गतिविधि तेज हो गई है। मेरठ और सहारनपुर मंडल में तो बड़ी पार्टियों के बीच चंद्रशेखर की आजाद समाज पार्टी और जकी अहमद की राष्ट्रीय एकता पार्टी ने गांव-गांव अभियान शुरू कर दिया है। इन पार्टियों के नेताओं का कहना है कि अब तो पंचायत चुनाव में ही ताकत दिखानी है। साफ है कि बड़ी पार्टियों के साथ ही छोटी पार्टियों ने भी किसानों को एजेंडे में शामिल कर पंचायत चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है।

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