शरद पवार की ओर से गैर-कांग्रेसी और गैर-भाजपा दलों की मीटिंग को लेकर शिवसेना ने तंज कसा है। महाराष्ट्र में शरद पवार की पार्टी एनसीपी संग सरकार चला रही शिवसेना ने कहा है कि इस मीटिंग को जितना मीडिया हाइप दिया गया था, उस हिसाब से कुछ भी फायदा नहीं हुआ है। शिवसेना के मुखपत्र सामना में लिखा गया है, ‘राष्ट्र मंच के नाम से विपक्षी दलों के एक समूह की मीटिंग दिल्ली में शरद पवार के घर पर बुलाई गई थी। लेकिन इस मीटिंग का नतीजा कुछ नहीं निकला, जितना कि मीडिया ने इसे हाइप दिया था।’ यही नहीं अखबार ने लिखा है कि पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी के विरोध के नाम पर कुछ ही नेता इस मीटिंग में इकट्ठा हुए थे।
इस मीटिंग में शिवसेना को आमंत्रित नहीं किया गया था। इस संबंध में सवाल पूछे जाने पर शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा था कि शरद पवार बड़े नेता हैं और उन्हें तमाम लोग सलाह देते रहते हैं। इस मीटिंग को लेकर तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे थे और मोदी सरकार एवं बीजेपी के खिलाफ विकल्प देने की बातें भी की जा रही थीं। हालांकि शरद पवार के दफ्तर की ओर से इसे खारिज कर दिया गया था। ‘सामना’ ने गुरुवार को मीटिंग को लेकर लिखा, ‘जयंत चौधरी, उमर अब्दुल्ला, नीलोत्पल बसु, पूर्व जज एपी शाह, पवन वर्मा, आम आदमी पार्टी के सुशील गुप्ता और सुधींद्र कुलकर्णी जैसे लोग इस मीटिंग में थे। क्या पीएम मोदी और बीजेपी के खिलाफ एक गठबंधन बनाना ही विपक्ष की ऐसी एकजुटता का मकसद है।’
सामना के संपादकीय में कहा गया कि आज देश के सामने इस सरकार की वजह से समस्याओं का पहाड़ खड़ा है। लेकिन इसके साथ ही शिवसेना के मुखपत्र में विपक्षी दलों को भी नसीहत दी गई है। सामना में लिखा गया, ‘वैकल्पिक नेतृत्व को लेकर आखिर आइडिया क्या है? कोई भी यह नहीं बता सकता। विपक्षी दलों को एकजुट होना चाहिए। यह संसदीय लोकतंत्र की जरूरत है। लेकिन बीते 7 सालों में राष्ट्रीय स्तर पर विपक्ष पूरी तरह से नदारद दिखा है।’ यह नहीं शिवसेना की ओर से राहुल गांधी को सलाह दी गई है कि उन्हें शरद पवार की ओर से विपक्ष की एकजुटता के प्रयासों के साथ जुड़ना चाहिए।