बलिया: ईओ सन्तोष मिश्रा ने तबादला नीति को दिखाया ठेंगा,योगी सरकार की हो रही किकिरी


सोनू पाठक,बलिया। अगर आप यह जनकर इतरा रहे है कि योगी सरकार एक ईमानदार सरकार है। भ्रष्ट और नियम तोड़ने वाले अधिकारी बख्शे नही जाएगे,सपा और बसपा के नेताओ की बीजेपी सरकार में दाल नही गलेगी, तो यह आप की बड़ी भूल है।योगी सरकार  की ईमानदारी का दम्भ भरने की कोशिश को बलिया निवासी ईओ सन्तोष मिश्र ने अपनी नियम विरुद्ध तैनाती को रूकवाकर  हवा निकल कर रख दिया।

विदित  हो कि सपा के पूर्व मंत्री तारकेश्वर मिश्र के पुत्र होने का लाभ उठाकर नियम विरुद्ध बलिया नगर पालिका  गृह जनपद में विगत पांच सालो से  ईओ के पद पर जमे है,जब भाजपा सत्ता में आई तो जिले में चर्चा चल रही थी कि अब सन्तोष मिश्रा पर कार्रवाई होगी क्योंकि  मिश्र का गृह जनपद बलिया है। जनपद में किस नियम के आधार पर नगर पालिका का ईओ बने बैठे है।इसको लेकर जिलेभर में चर्चा बनी रही ।
योगी सरकार की रूटीन ट्रांसफर में ईओ का तबादला हुआ, लेकिन आदेश भी निरस्त करवाकर बलिया ईओ ने यह साबित कर दिया की पैसे के बल पर कुछ भी सम्भव है।सरकार चाहे किसी भी पार्टी की हो।

 

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योगी सरकार की ट्रांसफर नीति के आधार पर एक स्थान पर तीन साल से अधिक समय से जमे अधिकारियो का ट्रांसफर किया जाना था। इसी क्रम में बलिया के ईओ जो बिगत पांच साल से बलिया नगर पालिका  में जमे रहने के कारण अतरौलिया नगर पॉलिका में स्थानांतरण किया गया था लेकिन बलिया में पिता की सियासी जमीन सजाने व चहेते ठेकेदारों को मलाई खिलाने के लिए। बलिया छोड़ना नही चाहते है।

इसलिए 30 जून के स्थानांतरण जारी हुआ और नगर पालिका चेयरमैन साधना गुप्ता ने इन्हें कार्यमुक्त भी कर दिया है,लेकिन डीएम ने राजनितिक दबाव में किसी अन्य ईओ को चार्ज नही दिया।इसी बीच अपने गृह जनपद बलिया में जमे रहने के लिए तबादला रुकवाने में सफल हो गए।ब्यौरोक्रेट की इस फैसले से योगी सरकार के  सामने कई सवाल खड़े हुए है।

ईओ का स्थानांतरण स्थगन का आदेश भाजपा की स्वच्छ छवि को ठेंगा दिखा रही है।इस घटनाक्रम को  लेकर बलिया से लेकर लखनऊ की सियासी गलियारे में चर्चा का विषय बना हुआ है।

ज्ञात हो कि 3 अगस्त के बाद चेयरमैन का कार्यकला समाप्त होने के बाद ईओ प्रशासक हो जाता है।उसके बाद करोड़ो की फंड नगर पालिका में विगत सालों में कराया गया था।उन कार्यो के चेक काटने का एकाधिकार ईओ को मिल जाएगा उसके बाद मोटी कमीशन मिलने की लालच भी ट्रांसफर रुकवाने का कारण बताया जा रहा है।
सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि बलिया में अपने  पिता की सियासत चमकाने के  लिए बलिया नगर पालिका को छोड़ना नही चाहते है।इनके पिता तारकेश्वर मिश्रा सपा के वरिष्ठ नेता है,जो अखिलेश सरकार में राज्यमंत्री थे।

यूपी में इस तरह की पहली घटना है जो इतिहास रच दिया।

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