बिहार विधानसभा में चल रहे बजट सत्र के प्रश्नकाल के दौरान बार सोमवार को एक बार फिर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के मंत्री पर किए टिप्पणी पर हंगामा मच गया। तेजस्वी ने मंत्री की ओर इशारा करते हुए कहा कि इन्हें किसने मंत्री बना दिया है जो सवाल के जवाब भी नहीं जानते। तेजस्वी की इस बात पर सत्तापक्ष भी गरमा गया और सदन में हो हंगामा शुरू हो गया।
दरअसल प्रश्न काल के दौरान तेजस्वी गन्ना मंत्री प्रमोद कुमार से पूछे गए अपने अल्पकालिक सवाल के जवाब से संतुष्ट नहीं थे और लगातार उनसे अनुपूरक सवाल कर रहे थे। इस दौरान विधानसभा स्पीकर विजय कुमार सिन्हा ने हस्तक्षेप करते हुए उनसे कहा कि समय समाप्त हो गया है और मंत्री इस मामले को पूरी तरह से समझकर और सदन को जवाब देंगे। संतोषजन जवाब नहीं मिलने का हवाला देते हुए तेजस्वी ने कहा कि चीनी मिलों की नीलामी की तारीख और मोड के बारे में उनके सवाल का मंत्रीजी ने जवाब नहीं दिया है। उन्होंने कहा कि ये किसने मंत्री बना दिया है जिन्हें सवालों के जवाब पता नहीं। उन्होंने आरोप लगाया कि सकरी चीनी मिल में 20-करोड़ रुपये के स्क्रैप को निवेशक ने बेच दिया और यूनिट भी शुरू नहीं की।
नेता प्रतिपक्ष की टिप्पणी के बाद सदन में भाजपा खेमा के नेताओं ने डिप्टी सीएम तार किशोर प्रसाद और पूर्व मंत्री नंद किशोर यादव के साथ मंत्री पर दिये तेजस्वी के बयान पर यह कहते हुए सवाल उठाया कि- मंत्रियों का अपमान सदन में नहीं होने दिया जाएगा। इसके बाद विपक्षी पक्ष को छोड़कर सत्ता पक्ष के सभी सदस्य विरोध में खड़े हो गए।
इस दौरान सदन में हो हंगामे के बीच डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष 3-4 दिनों से मंत्रियों के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी कर रहे हैं। कौन मंत्री बनेगा और कौन नहीं, इसकी चिंता उन्हें नहीं करनी चाहिए? कहा कि मंत्रियों के खिलाफ इस तरह की अपमानजनक टिप्पणी अस्वीकार्य है और यह सदन में गलत परंपरा कायम कर रहे हैं। डिप्टी सीएम ने कहा कि ये पूरक प्रश्नों (शॉर्ट-नोटिस के सवालों) का समय है, वह तानाशाही नहीं दिखा सकते।
वहीं पूर्व मंत्री नंद किशोर यादव ने कहा कि सदन के किसी भी सदस्य को दूसरों का अपमान करने की स्वतंत्रता नहीं दी जा सकती है। नेता प्रतिपक्ष एक संवैधानिक पद है। किसी भी सदस्य का अपमान करना सदन का अपमान करना है। सदन किसी सदस्य की इच्छा पर नहीं चल सकता। उन्होंने तेजस्वी से माफी की मांग करते हुए कहा कि उन्हें सदन से माफी मांगनी चाहिए।
वहीं अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि सदन केवल नियमों के अनुसार चलेगा और सभी सदस्यों को वरिष्ठों से सीखने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि- मैंने तेजस्वी(LOP Leader of Opposition) को पर्याप्त अवसर दिया है और संबंधित मंत्री को सदन के पटल पर अपने पूरक प्रश्नों का उत्तर देने के लिए कहा है। सदन में समय का सम्मान महत्वपूर्ण है और सभी को इसका पालन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसी को भी आसन को निर्देशित या एक-दूसरे की बारी को पार करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।
तेजस्वी ने सदन में इन सवालों के जवाब चाहे थे
तेजस्वी ने जानना चाहा कि क्या सरकार ने 2005 के बाद से बंद चीनी मिलों की चल और अचल संपत्ति निवेशकों को बेच दी है। यदि हां तो उन्हें चलाने या निवेशकों के खिलाफ कार्रवाई करने का कोई प्रयास क्यों नहीं किया गया। क्या सरकार बंद चीनी मिलों की नीलामी के माध्यम से उत्पन्न राजस्व के बारे में सदन को जवाब दे सकती है और उन्हें शुरू करने में कितना समय लगेगा? इसके अलावा उन्होंने पूरक प्रश्न को जोड़ते हुए आरोप लगाते हुए पूछा कि सकरी शुगर मिल में 20 करोड़ रुपये मूल्य के स्क्रैप की कथित बिक्री की गई जबकि निवेशक ने सिर्फ 9.25 करोड़ रुपये का ही भुगतान किया।
इसके जवाब में शुगर मंत्री ने कहा कि स्क्रैप का कोई सवाल ही नहीं था, क्योंकि एसबीआई कैपिटल द्वारा परिसंपत्तियों के दिशा-निर्देशों और मूल्यांकन के अनुसार चीनी मिलों के लिए पूरी बोली प्रक्रिया को अंजाम दिया गया था। हालांकि मंत्री ने स्वीकार किया कि सकरी मिल निवेशक को तीन कानूनी नोटिस दिए गए थे।
चीनी मिलों का सवाल बिहार विधानसभा चुनाव में चुनावी मुद्दा बना
बता दें कि चीनी मिलों का सवाल बिहार में एक कांटेदार मुद्दा रहा है और यह 2020 बिहार विधानसभा चुनाव में चुनावी मुद्दा भी बना। क्योंकि सभी चीनी मिल एक-एक करके बंद होते चले गए। बता दें कि 1950 के दशक में बिहार में 33 चीनी मिलें थीं और प्रदेश चीनी का एक प्रमुख निर्माता था। 1980 के दशक तक 50प्रतिशत से अधिक चीनी मिल बीमार पड़ गए और उन्हें बिहार गन्ना विकास निगम द्वारा ले लिया गया। हालांकि, बाद में सरकार ने हार मान ली और उन्हें कई उपयोग के लिए भावी निवेशकों को सौंपने का फैसला किया, क्योंकि सभी बंद कारखानों के पास बड़ी संपत्ति है।