बिहार विधानसभा के शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन विपक्ष द्वारा जमकर हंगामा देखने को मिल रहा है। सदन के बाहर विभिन्न मांगों को लेकर राजद-कांग्रेस-भाकपा माले के विधायकों ने जमकर प्रदर्शन किया। वहीं बिहार विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण पर वाद-विवाद शुरू हुआ। पूर्व मंत्री श्रवण कुमार ने सत्ता पक्ष की ओर से धन्यवाद प्रस्ताव रखा। इस बीच कृषि बिल वापस लेने की मांग को लेकर विपक्ष नारेबाजी करते हुए वेल में उतर पड़े। विधानसभा अध्यक्ष के आग्रह पर विपक्ष के सदस्य अपनी-अपनी सीटों पर लौटे।
इससे पहले गुरुवार को राज्यपाल फागू चौहान ने कहा है कि अपराध, भ्रष्टाचार और सांप्रदायिकता के विरुद्ध राज्य सरकार की नीति जीरो टॉलरेंस की है। राज्य सरकार द्वारा समावेशी विकास की रणनीति अपनाई गई है। ठोस अनुशासनिक एवं आधुनिक प्रशासनिक तथा वित्तीय संरचना स्थापित कर विकास का मार्ग प्रशस्त किया गया है। पिछले 15 वर्षों में बिहार की विकास दर दो अंकों में रही है। राज्यपाल विधान मंडल के संयुक्त सत्र को संबोधित कर रहे थे।
नीतीश को सदन के नेता के रूप में मान्यता
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को विधानसभा में सदन के नेता के रूप में मान्यता दी गई। वहीं तेजस्वी प्रसाद यादव को नेता विपक्ष के रूप में मान्यता मिली। विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने गुरुवार को राज्यपाल फागू चौहान के भाषण के बाद इसकी घोषणा की।
विश्वविद्यालयों में दस-दस विधायक होंगे सीनेट सदस्य
राज्य के विश्वविद्यालयों में दस-दस विधायकों को सीनेट का सदस्य मनोनीत करने को विधानसभा अध्यक्ष को अधिकृत किया गया। संसदीय कार्यमंत्री विजय कुमार चौधरी ने इस प्रस्ताव को रखा, जिसे सदन में स्वीकृति दी गई। दस सदस्यों में एक अनुसूचित जाति, एक अनुसूचित जनजाति तथा तीन अन्य पिछड़ा वर्ग के सदस्य होंगे। कृषि विश्वविद्यालयों में सात-सात विधायक मनोनीत होंगे। इसी प्रकार संस्कृत और मदरसा बोर्ड तथा आयुर्वेद व यूनानी चिकित्सा परिषद में भी विधायक सदस्य के रूप में मनोनीत होंगे।