बिहार में पंचायत चुनाव 2021 को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग ने अहम दिशा निर्देश जारी किए हैं। आयोग ने चुनाव में उम्मीदवारों के प्रस्तावकों को लेकर ये निर्देश जारी किए हैं। इसके अनुसार पंचायत निकायों एवं ग्राम कचहरी के पदों के उम्मीदवारों के लिए प्रस्तावक बनने की प्रक्रिया निर्धारित की है।
इसके अनुसार केंद्र या राज्य या किसी स्थानीय प्राधिकार से पूर्णत: या आंशिक वित्तीय सहायता प्राप्त करने वाले शैक्षणिक अथवा गैर शैक्षणिक संस्थाओं में कार्यरत या पदस्थापित या प्रतिनियुक्त पदाधिकारी, शिक्षक, प्रोफेसर व शिक्षकेत्तर कर्मचारी के प्रस्तावक नहीं बन सकेंगे। साथ ही, आंगनबाड़ी सेविका, विशेष शिक्षा परियोजना, साक्षरता अभियान, विशेष शिक्षा केंद्रों में मानदेय पर कार्यरत अनुदेशक के भी प्रस्तावक बनने पर रोक लगायी गयी है।
आयोग के अनुसार पंचायत के अधीन संविदा पर तैनातकर्मियों के भी प्रस्तावक बनने पर रोक लगायी गयी है। पंचायत के अधीन मानदेय या संविदा पर कार्यरत कर्मियों में पंचायत शिक्षा मित्र, न्याय मित्र, विकास मित्र एवं अन्यकर्मी इनमें शामिल हैं। पंचायत में कार्यरत मानदेय पर कार्यरत दलपति और होमगार्ड को भी इसमें शामिल किया गया है। इसके अलावा सरकारी अधिवक्ता (जीपी), लोक अभियोजक (पीपी) या वैसे सरकारी अधिवक्ता जो सरकार द्वारा शुल्क देकर नियुक्त किए जाते हैं, उन्हें भी प्रस्तावक बनने के लिए अयोग्य करार दिया गया है। आयोग के अनुसार सहायक लोक अभियोजक वेतनभोगी सरकारी सेवक हैं अत: ये भी प्रस्तावक नहीं बन सकते हैं।
इनके प्रस्तावक बनने पर रद्द हो जाएगा नामांकन पत्र
आयोग ने हिदायत दी है कि जिन्हें उम्मीदवार के प्रस्तावक बनने पर रोक लगायी गयी है, अगर वे प्रस्तावक बनते हैं तो नामांकन पत्र की जांच के दौरान निर्वाची पदाधिकारी द्वारा नामांकन पत्र को रद्द कर दिया जाएगा।