बिहार की आधी आबादी की जान खतरे में हैं। राज्य की 63.5 प्रतिशत महिलाओं की रगों में खून कम दौड़ रहा है। यानी इतनी महिलाएं एनिमिया की शिकार हैं और इन पर कई बीमारियों का खतरा मंडरा रहा है। कोसी-सीमांचल और पूर्वी बिहार के जिलों की बात करें तो भागलपुर, लखीसराय व मुंगेर में 73, 72.6 व 71.4 प्रतिशत महिलाएं खून की कमी से जूझ रही हैं।
जबकि लखीसराय जिले की 15 से 19 साल की 75.1, भागलपुर में 73.9 व मुंगेर की 73.8 प्रतिशत किशोरियों और युवतियों में खून की कमी है। ये आंकड़े इसलिए चिंतनीय हैं, क्योंकि चार साल पहले की तुलना में बिहार में एनिमिया की शिकार महिलाओं की संख्या घटने के बजाय बढ़ी हैं। जिले के सरकारी अस्पतालों में आयरन फोलिक एसिड की मुफ्त गोलियां उपलब्ध हैं और हर माह की नौ तारीख को मातृत्व सुरक्षा अभियान चलाया जा रहा है।
चार साल में 3.2 प्रतिशत एनिमिक महिलाओं की संख्या बढ़ी
एनएफएचएस-5 (2019-20) के आंकड़े बता रहे हैं कि 15 से 49 साल की उम्र की 63.5 प्रतिशत महिलाएं एनिमिक हैं, जबकि एनएफएचएस-4 (2015-16) में यह आंकड़ा 60.3 प्रतिशत था। यानी चार साल में ही बिहार में एनिमिक महिलाओं की संख्या में 3.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई। वहीं किशोरियों और युवतियों की बात करें तो बिहार की 15 से 19 साल की उम्र वाली 65.7 प्रतिशत किशोरियां और युवतियां एनिमिक हैं। वहीं एनएफएचएस-4 में यह आंकड़ा 61.0 प्रतिशत था। यानी इन चार सालों में एनिमिक किशोरियों-युवतियों की संख्या में 4.7 प्रतिशत का इजाफा हुआ।
गर्भवती महिलाओं में खून की कमी ज्यादा
एनएफएचएस-5 के आंकड़े बता रहे हैं कि 15 से 49 साल तक की 63.1 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं में हिमोग्लोबिन का स्तर 11 ग्राम प्रति डेसीलीटर से कम था। जबकि 2015-16 में यह आंकड़ा 58.3 प्रतिशत था। यानी इन चार सालों में एनिमिया की शिकार गर्भवती महिलाओं की संख्या में 4.8 प्रतिशत का इजाफा हुआ। वहीं बच्चों की बात करें तो बिहार में छह से लेकर 59 माह तक के 69.4 प्रतिशत बच्चे एनिमिया के शिकार हैं। वहीं एनएफएचएस- 4 के अनुसार यह आंकड़ा 63.5 प्रतिशत था। यानी चार माह में ही 5.9 प्रतिशत एनिमिक बच्चों की संख्या बढ़ गयी।
भागलपुर, लखीसराय व मुंगेर की महिला, किशोरी-युवती, गर्भवती महिलाएं व बच्चे ज्यादा एनिमिक
अगर हम पूर्वी बिहार, कोसी-सीमांचल के जिलों की बात करें तो आंकड़े इस बात की गवाही देते हैं कि भागलपुर, लखीसराय और मुंगेर जिले की आधी आबादी, नवजात व बच्चों में खून की कमी ज्यादा है। भागलपुर के 78.7, लखीसराय के 72.2 व मुंगेर के 74.3 प्रतिशत बच्चों (छह से 59 माह तक के बच्चे) में 11 ग्राम प्रति डेसीलीटर से खून कम है। वहीं 15 से 49 साल तक की महिलाओं की बात करें तो भागलपुर में 73, लखीसराय में 72.6 व मुंगेर में 71.4 प्रतिशत 15 से 49 साल की महिलाएं एनिमिया की शिकार हैं। वहीं लखीसराय की 75.1 व भागलपुर की 73.9 प्रतिशत 15 से 19 साल की किशोरियों व युवतिओं की रगों में खून कम निकला।
गर्भवती मां में खून की कमी हो तो जच्चा-बच्चा को खतरा
जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज एंड अस्पताल के पीजी शिशु रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ. आरके सिन्हा बताते हैं कि खून से ही शरीर के सभी अंग संचालित होते हैं। ऐसे में खून की कमी से ह्रदय, किडनी, ब्रेन और मांसपेशियां कमजोर हो जाते हैं। इससे हाथ-पैर में दर्द, ऐंठन, अत्यधिक गुस्सा होना, कार्यक्षमता, याद्दाश्त में कमी, पैर में लकवा मारना, हार्ट फेल्योर, फेफड़े में संक्रमण और आंत कमजोर हो सकता है। गर्भवती महिलाओं में खून की कमी हो तो जच्चा-बच्चा के जान को खतरा हो सकता है। ऐसे में गर्भधारण करने के बाद खून जांच करायें। किशोरियों और बच्चों को फास्ट फूड ज्यादा नहीं खिलाएं। आयरनयुक्त जैसे, पालक, मीट-मछली, अंडा, हरी सब्जियां, गाजर व मौसमी फल दें।
भागलपुर जिले में हैं सबसे ज्यादा एनिमिक बच्चे
जिले का नाम एनिमिक बच्चों की संख्या (प्रतिशत में)
भागलपुर 78.7 प्रतिशत
बांका 77.8 प्रतिशत
लखीसराय 77.2 प्रतिशत
मुंगेर 74.3 प्रतिशत
पूर्णियां 68.0 प्रतिशत
75.1 प्रतिशत किशोरी व युवतियां हैं लखीसराय में
जिले का नाम युवती-किशोरियों की संख्या (प्रतिशत में)
लखीसराय 75.1 प्रतिशत
भागलपुर 73.9 प्रतिशत
मुंगेर 73.8 प्रतिशत
मधेपुरा 70.4 प्रतिशत
कटिहार 66.7 प्रतिशत
भागलपुर में सबसे ज्यादा एनिमिक की शिकार महिला
जिले का नाम महिलाओं की संख्या (प्रतिशत में)
भागलपुर 73.0 प्रतिशत
लखीसराय 72.6 प्रतिशत
मुंगेर 71.4 प्रतिशत
कटिहार 68.4 प्रतिशत
पूर्णियां 66.0 प्रतिशत
पूर्णियां में सबसे ज्यादा गर्भवती महिलाओं में खून की कमी
जिले का नाम गर्भवती महिलाओं की संख्या (प्रतिशत में)
पूर्णियां 74.6 प्रतिशत
मुंगेर 72.9 प्रतिशत
मधेपुरा 69.0 प्रतिशत
बांका 68.6 प्रतिशत
किशनगंज 68.4 प्रतिशत
ये आंकड़ा, पूर्वी बिहार, कोसी-सीमांचल के सहरसा, भागलपुर, सुपौल, बांका, कटिहार, खगड़िया, किशनगंज, लखीसराय, मधेपुरा, मुंगेर व पूर्णियां जिले का तुलनात्मक अध्ययन पर आधारित है।