स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगा रहे बिहार के बिजली उपभोक्ताओं को समय रहते रिचार्ज कराना होगा। अगर समय पर मीटर रिचार्ज नहीं कराया और डिसकनेक्शन हो गया तो कनेक्शन चालू करने के लिए उपभोक्ताओं को कुछ पैसे देने होंगे। शुल्क कितना लगेगा, यह बिहार विद्युत विनियामक आयोग तय करेगा। बिजली कंपनी ने एक अप्रैल से प्रभावी होने वाली बिजली दर की याचिका में यह प्रस्ताव दिया है।
अधिकारियों के अनुसार प्रीपेड मीटर में खपत के अनुसार हर रोज पैसे की कटौती होगी। बिहार बिजली स्मार्ट मीटर एप के माध्यम से उपभोक्ता अपने मोबाइल पर इसकी जानकारी देख सकते हैं। खपत के आधार पर उपभोक्ताओं को सात दिन पहले मीटर रिचार्ज कराने की पहली नोटिस दी जाएगी। प्रीपेड मीटर की राशि शून्य होने पर दूसरी नोटिस दी जाएगी। राशि शून्य होने के 24 घंटे के भीतर अगर उपभोक्ताओं ने प्रीपेड मीटर रिचार्ज नहीं कराया तो बिजली की सुविधा समाप्त हो जाएगी। साथ ही, तीसरे नोटिस में उपभोक्ताओं को डिसकनेक्शन की जानकारी दे दी जाएगी। डिसकनेक्शन के बाद हर चौथे दिन उपभोक्ताओं को मीटर रिचार्ज करने का अनुरोध किया जाएगा।
इन तमाम प्रक्रियाओं की जानकारी देते हुए कंपनी ने आयोग से कहा है कि अगर अधिक दिनों तक डिसकनेक्शन हो जाए और उसके बाद कोई फिर से बिजली की सेवा लेना चाहते हैं तो इसके लिए कुछ शुल्क लिया जाए। आयोग कुछ राशि इसके लिए तय करे। राशि क्या हो और कितने दिन तक डिसकनेक्शन रहने के बाद वह ली जाए, यह आयोग को ही तय करने को कहा गया है। कंपनी का मानना है कि राशि लगने के बाद यह साफ हो जाएगा कि उपभोक्ताओं को फिर से बिजली खपत की अनुमति मिल चुकी है।
अभी 118 रुपए लगते हैं शुल्क
मौजूदा मीटर में अगर बिजली बिल भुगतान नहीं होने के कारण डिसकनेक्शन होता है तो उसके लिए जुर्माने का प्रावधान है। इंजीनियरों के अनुसार डिसकनेक्शन होने पर उपभोक्ताओं की ओर से 118 रुपए का रसीद कटवाया जाता है और बिल भुगतान के बाद ही उनका दोबारा कनेक्शन जोड़ा जाता है। अब आयोग पर निर्भर है कि वह स्मार्ट प्रीपेड में डिसकनेक्शन के नाम पर उपभोक्ताओं से कितनी राशि वसूलने का अधिकार बिजली कंपनी को देती है।