प्रयागराज। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार कोईस्टर्न डेडीकेडेट फ्रेट कॉरीडोर का वर्चुअल शुभारंभ किया। साथ ही डीएफसी कंट्रोल रूम का उद्घाटन भी कया। इसके साथ ही खुर्जा से भाऊपुर के बीच डीएफसी ट्रैक पर मालगाड़ी का संचालन भी शुरू हो गया। पीएम मोदी के वर्चुअल शुभारंभ करते ही कानपुर देहात के भाऊपुर से मालगाड़ी रवाना हो गई। इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा, आज का दिन भारतीय रेल के गौरवशाली अतीत को 21वीं सदी की नई पहचान देने वाला है। भारत और भारतीय रेल का सामर्थ्य बढ़ाने वाला है। आज हम आजादी के बाद का सबसे बड़ा और आधुनिक रेल इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट धरातल पर उतरता देख रहे हैं। प्रयागराज में ऑपरेशन कंट्रोल सेंटर भी नए भारत के नए सामर्थ्य का प्रतीक है।
पीएम ने कहा, ये दुनिया के बेहतरीन और आधुनिक कंट्रोल सेंटर में से एक है। इसमें मैजेनमेंट और डेटा से जुड़ी जो तकनीक है वो भारत में ही तैयार हुई है। आज जब भारत दुनिया की बड़ी आर्थिक ताकत बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है, तब बेहतरीन कनेक्टिविटी देश की प्राथमिकता है। इसी सोच के साथ बीते 6 साल से देश में आधुनिक कनेक्टिविटी के हर पहलू पर फोकस के साथ काम किया जा रहा है। हमारे यहां यात्री ट्रेन और मालगाड़ियां दोनों एक ही पटरी पर चलती हैं। मालगाड़ी की गति धीमीं होती है।
ऐसे में मालगाड़ियों को रास्ता देने के लिए यात्री ट्रेनों को स्टेशनों पर रोका जाता है। इससे यात्री ट्रेन भी लेट होती है और मालगाड़ी भी। ये फ्रेट कॉरिडोर आत्मनिर्भर भारत के बहुत बड़े माध्यम होंगे। उद्योग हों, व्यापार-कारोबार हों, किसान हों या फिर कंज्यूमर, हर किसी को इसका लाभ मिलने वाला है। विशेष तौर पर औद्योगिक रूप से पीछे रह गए पूर्वी भारत को ये फ्रेट कॉरिडोर नई ऊर्जा देने वाला है। इसका करीब 60% हिस्सा उत्तर प्रदेश में है, इसलिए यूपी के हर छोटे बड़े उद्योग को इसका लाभ होगा। कल ही देश में 100वीं किसान रेल शुरु की गई है।
किसान रेल से वैसे भी खेती से जुड़ी उपज को देशभर के बाजारों में सुरक्षित और कम कीमत पर पहुंचाना संभव हुआ है। अब किसान रेल और भी तेजी से अपने गंतव्य पर पहुंचेगी।
छह चरण में है काम
– खुर्जा से भाऊपुर – 351 किलोमीटर (बन चुका है)
– भाऊपुर से मुगलसराय – 402 किलोमीटर
– मुगलसराय से सोन नगर – 137 किलोमीटर
– सोन नगर से दानकुनी – 538 किलोमीटर (पीपीपी मोड पर)
– खुर्जा से दादरी – 46 किलोमीटर
– खुर्जा से पिलखानी – 222 किलोमीटर
– पिलखानी से लुधियाना – 179 किलोमीटर
ये होंगे फायदे
– देश के एक कोने से दूसरे कोने तक माल पहुंचाना आसान
– समुद्री मार्ग से जहाज के जरिए विदेश से कोलकाता या मुबंई आया माल ट्रेन से लादकर देश के राजधानी दिल्ली से लेकर उत्तरी छोर लुधियाना तक पहुंचा जा सकता है।
– पूरा रेल ट्रैक इलेक्ट्रिक है तो प्रदूषण नहीं होगा
– सड़क पर मालभाड़ा का दबाव कम होगा
– मालभाड़ा सस्ता हो सकता है।