कोरोना से सस्ते मकानों का विकल्प हुआ कम, महंगे घरों की भारी डिमांड से रिकॉर्ड बिक्री

कोरोना महामारी ने घर खरीदारों के सामने सस्ते घर (40 लाख रुपये से कम कीमत) के विकल्प को कम कर दिया है। एनारॉक प्रॉपर्टी कंसल्टेंट्स की रिपोर्ट से यह जानकारी मिली है। वहीं, इस बीच बीच महंगे घरों की रिकॉर्ड बिक्री हुई है।

संपत्ति बाजार में कुल नए घरों की आपूर्ति में सस्ते घरों की आपूर्ति गिरी है। रिपोर्ट के अनुसार, 2020 के शुरुआती महीने तक कुल नए लॉन्च में सस्ते घरों की हिस्सेदारी 40 फीसदी थी जो चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून, 2021) के दौरान घटकर 20 फीसदी रह गई है। यानी 2020 में अगर 100 नए घर बन रहे थे तो उसमें 40 घर अफोर्डेबल कैटेगरी के थे। वहीं, चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही तक यह घटकर 20 रह गए हैं। क्रेडाई पश्चिमी यूपी के सचिव सुबोध गोयल ने हिन्दुस्तान को बताया कि सीमेंट और स्टील बनाने वाली कंपनियों ने कीमतों में बड़ी बढ़ोतरी की है। 

कच्चे माल में उछाल से अफोर्डेबल प्रोजेक्ट बनाना मुश्किल

कोरोना के बाद से रियल एस्टेट में इस्तेमाल होने वाला अधिकांश कच्चा माल में अचानक से उछाल आया है। इसका बुरा असर रियल एस्टेट सेक्टर पर पड़ा है। इससे रियल एस्टेट डेवलपर्स के लिए अफोर्डेबल प्रोजेक्ट बनाना मुश्किल हो गया है। इसके चलते डेवलपर्स अफोर्डेबल प्रोजेक्ट लॉन्च करने से बच रहे हैं जिससे सस्ते घरों की आपूर्ति घटी है। वहीं, सिग्नेचर ग्लोबल के चेयरमैन, प्रदीप अग्रवाल ने बताया कि बड़े अपार्टमेंट और फ्लोर की मांग पूरा करने के लिए रियल एस्टेट डेवलपर राज्यों की नई हाउसिंग पॉलिसी पर फोकस कर रहे है जो कि 170 स्क्वायर यार्ड तक यूनिट साइज के साथ प्रोजेक्ट को प्रोत्साहित करता है। यह आंकड़ा अफोर्डेबल हाउसिंग स्कीम के 90 स्क्वायर यार्ड के दायरे से काफी बड़ा है। एक कारण यह भी है कि कई बड़े पैमाने के डेवलपर्स अपनी मौजूदा इन्वेंट्री को खत्म करने के लिए तत्पर हैं।

बड़े घरों की ओर बढ़ा रुझान

रियल एस्टेट कंपनी अंतरिक्ष इंडिया के सीएमडी राकेश यादव ने हिन्दुस्तान को बताया कि कोरोना के दौर में घरों की मांग तेजी से बढ़ी है, लेकिन खरीदारों का रुझान अब बड़े साइज के घर की ओर है। ऐसा बदलाव वर्क फ्रॉम होम कल्चर से हुआ है। कोरोना के बाद घर ही ऑफिस बन गया है तो लोग अपनी जरूरत को समझते हुए बड़ा घर खरीदना चाह रहे हैं। इस बदलाव से 3बीएचके और 4बीएचके फ्लैट की मांग तेजी से बढ़ी है। इसी को देखते हुए डेवलपर्स भी बाजार की मांग के अनुरूप नए प्रोजेक्ट को लॉन्च कर रहे हैं। इस बदलाव ने सस्ते घरों की आपूर्ति को कम किया है जबकि महंगे और बड़े घरों पर फोकस बढ़ाया है।

खरीदारी क्षमता घटने का भी दबाव

हाउसिंग.कॉम के सीईओ, मणि रंगराजन ने बताया कि मौजूदा संकट ने अफोर्डेबल हाउसिंग सेगमेंट के एक खास तबके को काफी प्रभावित किया है। पिछले एक साल में मध्यम वर्ग का एक वर्ग निचले आर्थिक तबके में फिसल गया है। इससे सस्ते घरों की मांग प्रभावित हुई है। वहीं, उच्च मध्यम वर्ग के लोग या आर्थिक रूप से मौजूद लोग घर खरीद रहे हैं।

नए प्रोजेक्ट को शुरू करना अब संभव नहीं

क्रेडाई नेशनल ( नार्थ रीजन) के उपाध्यक्ष और गौड़ ग्रुप के एमडी मनोज गौड़ ने कहा कि निर्माण लागत में तेज बढ़ोतरी और लॉकडाउन की वजह से प्रोजेक्ट पूरा करने में हुई देरी से अफोर्डेबल हाउसिंग सेगमेंट अब पहले जैसा फायदेमंद नहीं रहा है। पिछले एक साल में निर्माण लागत 20 फीसदी से ज्यादा बढ़ गई है। इसके अलावा इस साल के लॉकडाउन ने प्रोजेक्टों में देरी की और कुल लागत में इजाफा किया है। रेरा की डेडलाइन भी अभी तक नहीं बढ़ाई गई है। अफोर्डेबल हाउसिंग डेवलपर्स के लिए कम मार्जिन को देखते हुए एक नए प्रोजेक्ट को शुरू करना अब संभव नहीं है

महंगे घरों की रिकॉर्ड बिक्री

कोरोना महामारी के बीच महंगे घरों की रिकॉर्ड बिक्री हुई है। स्क्वेर यार्ड की रिपोर्ट के अनुसार, पहली छमाही में सिर्फ मुंबई में 4000 करोड़ रुपये से अधिक कीमत की लग्जरी घरों की बिक्री हुई है। रिपोर्ट के अनुसार, मुंबई में जो महंगे घर खरीदे गए हैं उनमें 15 से 20 करोड़ से अधिक कीमत वाले घरों की हिस्सेदारी 45 फीसदी, 20 से 30 करोड़ की हिस्सदेारी 40 फीसदी, 30 से 50 करोड़ की हिस्सेदारी 10 फीसदी और 50 करोड़ रुपये से ऊपर के घर की हिस्सेदारी सात फीसदी थी।

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