कोरोना संक्रमण की मार से बदला कारोबार, नहीं मानी हार, दूसरों को भी दिया रोजगार

 कोविड का शुरुआती दौर उद्योगों पर बहुत भारी पड़ा। सैकड़ों उद्योग और व्यावसायिक प्रतिष्ठान या तो बंद हो गए या बंद होने की कगार पर पहुंच गए, लेकिन कुछ उद्यमी ऐसे भी हैं जिनके कदम आपदा में डगमगाए, लेकिन उन्होंने हौसला नहीं खोया। इनमें से ही एक हैं- इंदौर के संजय माहेश्वरी। उन्होंने कारोबार का स्वरूप बदलकर न सिर्फ अपने लिए नए अवसर तलाशे, अपितु साथ काम करने वाले कर्मचारियों को भी बेरोजगार नहीं होने दिया। कोविड के दौरान ऐसे लोगों की भी मदद की जो नौकरियां गवां चुके थे। अब ये उद्यमी न सिर्फ बड़े व्यावसायिक समूहों को भोजन थाली सप्लाई कर रहे हैं बल्कि मील डिजाइन करने के साथ ही ‘सेहतमंद फ्रोजन फूड’ पर भी काम कर रहे हैं।

महामारी की चुनौतियों से निकली नए बिजनेस की राह

माहेश्वरी ने नामी कंपनी की 26 लाख रुपये सालाना की नौकरी छोड़कर नमकीन क्लस्टर में समोसा, कचौरी, हॉटडॉग जैसे स्नैक्स का कारोबार शुरू किया। कुछ ही समय में कारोबार चल पड़ा और रोजाना बिक्री दस हजार यूनिट तक पहुंच गई। बिना तला स्नैक्स दुबई तक भेजा जाने लगा, लेकिन तभी कोविड महामारी की वजह से लॉकडाउन लग गया। हालात तेजी से बदले और कारोबार बंद करने की नौबत आ गई। माहेश्वरी बताते हैं कि राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के दौरान उन्हें सोचने का मौका मिला और उन्होंने बिजनेस मॉडल बदलने का मन बनाया। स्नैक्स की जगह हेल्दी फूड पर फोकस किया और इसके लिए बकायदा न्यूट्रीशियन का कोर्स किया। लॉकडाउन के पहले साथ काम करने वालों की भी चिंता थी। ज्यादातर कर्मचारी इंदौर से बाहर के थे। उनके सामने भी जीवनयापन का संकट था। इसे देखते हुए तय किया कि प्रशिक्षित शेफ नहीं रखेंगे, सब मिलकर सीखेंगे और काम करेंगे।

खाना बनाने के लिए ऐसे कारीगरों को काम पर लगाया गया जो घर जैसा खाना बना सकें। इसी दौरान प्रशासन और नगर निगम ने जरूरतमंदों के लिए खाने के पैकेट बनाने का जिम्मा सौंपा। तब 25 रुपये प्रति पैकेट की दर पर रोजाना 800 पैकेट भोजन भी सप्लाई किए। मुश्किल दौर में कर्मचारी साथियों के लिए यह बड़ी मदद थी। इस दौरान 45 ऐसे कर्मचारियों को भी अपने साथ जोड़ा, जिन्हें लॉकडाउन में काम की बेहद आवश्यकता थी। आखिर ये संघर्ष काम आया और अब बड़े ज्वेलरी शोरूम, कपड़ा निर्माण करने वाली कंपनियां और कभी-कभी महू स्थित भारतीय सेना के लिए भी भोजन थाली सप्लाई करते हैं।

मील डिजाइन पर जोर

माहेश्वरी ने मील डिजाइन पर बहुत काम किया है। वह ऐसी थाली तैयार करते हैं, जिससे लोगों का एनर्जी लेवल हमेशा एक जैसा बना रहता है। खाने के बाद आलस महसूस नहीं होता। उनका कहना है अगले एक से डेढ़ दशक में देश में यह सेगमेंट जोर पकड़ेगा। वह इसमें परिरक्षक (प्रिजरवेटिव) का उपयोग नहीं करेंगे। कोशिश होगी कि फ्रोजन फूड में कई महीनों और कुछ मामलों में दो वर्षों तक पोषक तत्व वैसे ही बने रहें।

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com