बिहार के लोगों को पुणे की सीरम इंस्टीटयूट ऑफ इंडिया द्वारा निर्मित कोरोना टीका कोविशिल्ड लगाया जाएगा। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के निर्देश पर यह निर्णय लिया गया है। देश में कोविड-19 के इलाज के लिए कोरोना वायरस के दो टीके के आपातकालीन इस्तेमाल की अनुमति ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) ने पिछले रविवार को दी थी।
इन दो टीके में कोविशील्ड और कोवैक्सीन शामिल हैं। कोविशील्ड ऑक्सफोर्ड- एस्ट्रोजेनेका का भारतीय संस्करण है, जबकि कोवैक्सीन पूरी तरह भारत की अपनी वैक्सीन है। इनमें सीरम इंस्टीटयूट ऑफ इंडिया, पुणे द्वारा कोविड-19 के टीके ‘ कोविशील्ड ’ का निर्माण किया गया है। कंपनी की ओर से देश में जनवरी में 10 करोड़ डोज तैयार कर लिए जाने का दावा किया है। वहीं, कोवैक्सीन को भारत बायोटेक कंपनी इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के साथ मिलकर बना रही है। स्वास्थ्य विभाग के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सीरम इंस्टीटयूट, पुणे द्वारा निर्मित टीके ही बिहार में लोगों को कोरोना महामारी से बचाव करेंगे।
14 जनवरी के पहले पुणे से सीधे पटना आएगा टीका
राज्य स्वास्थ्य समिति के आधिकारिक सूत्रों के अनुसार 14 जनवरी के पूर्व महाराष्ट्र के पुणे स्थित सीरम इंस्टीटयूट ऑफ इंडिया की लैब से सीधे पटना कोरोना टीका आएगा। कोरोना टीका हवाई मार्ग से पटना एयरपोर्ट पहुंचेंगे। वहां से उसे सीधे राज्य टीका औषधि भंडार में लाया जाएगा। वहां से इसे राज्य के जिलों के क्षेत्रीय टीका औषधि भंडार केंद्रों में भेजा जाएगा। इस पूरी प्रक्रिया में कोल्ड चेन के मानक प्रक्रिया का पालन किया जाएगा। सूत्रों ने बताया कि कोविशील्ड के रखरखाव के लिए 2 डिग्री सेल्शियस से 8 डिग्री सेल्शियस तक का तापमान को मेनटेन किया जाएगा।
300 केंद्रों पर दिए जाएंगे टीका
स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय के अनुसार बिहार में पहले चरण में 300 टीका केंद्रों पर कोरोना टीकाकरण किया जाएगा। इसके लिए पूर्व में भी 2 और 8 जनवरी को दो चरणों में कुल 114 जगहों पर ड्राई रन (पूर्वाभ्यास) सफलतापूर्वक किया गया और टीकाकरण कार्यक्रम को अंतिम रूप दिया जा चुका है। टीकाकरण का पहला डोज स्वास्थ्यकर्मियों को दिया जाएगा। टीकाकरण उन्हीं का होगा, जो पूर्व से को-विन पोर्टल पर निबंधित होंगे।