केदारनाथ में टेक ऑफ करते वक्त क्रैश हुआ हेलीकॉप्टर, पायलट और छह यात्री थे सवार

केदारनाथ में हेलीपैड पर यूटीयर हेली कंपनी का हेलीकॉप्टर टेक ऑफ करते हुए क्रैश हो गया। सभी यात्री सुरक्षित हैं। लेकिन हेलीकॉप्टर को काफी नुकसान हुआ है। घटना आज सुबह 11.23 बजे की बताई जा रही है। बताया गया कि हेलीकॉप्टर में पायलट और छह यात्री थे, जो सुरक्षित हैं। बता दें कि 2017 में भी केदारनाथ में एक हेलीकॉप्टर हेलीपैड पर रपट गया था।

आपदा के बाद से केदारनाथ में हेलीकॉप्टर के क्रैश होने की यहं 7वीं घटना है। वहीं उत्तराखंड में साल 2010 से लेकर अब तक नौ हेलीकॉप्टर क्रैश की घटनाएं हो चुकी है। जिसमें अब तक 27 लोग जान गवां चुके हैं। इसमें एमआई-17 समेत सात हेलीकॉप्टर तो केदार घाटी में ही दुर्घटनाग्रस्त हुए हैं।

जून 2013 की केदारनाथ आपदा के बाद वृहद स्तर पर चलाए गए खोज-बचाव एवं राहत कार्य के दौरान सेना के एमआई-17 समेत तीन हेलीकॉप्टर क्रैश हो गए थे। हादसों में सेना के 20 अधिकारी/जवानों समेत 23 लोगों की मौत हो गई थी। बीते आठ वर्षों में केदारनाथ और आसपास के क्षेत्र में सात हेलीकॉप्टर क्रैश हो चुके हैं, जिससे सेना व निजी कंपनियों को 500 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। 

समुद्रतल से 11 हजार 750 फीट से अधिक ऊंचाई वाले केदारनाथ क्षेत्र में हेलीकॉप्टर को एक संकरी घाटी से होकर गुजरना होता है। यहां हवा का दबाव अत्यधिक होने के साथ ही मौसम अचानक खराब हो जाता है। ऐसे में हल्की सी चूक हेलीकॉप्टर दुर्घटना का बड़ा कारण बन सकती है। जून 2013 की आपदा के बाद केदारनाथ में चलाए गए खोज-बचाव व राहत अभियान के दौरान 21 जून को जंगलचट्टी में निजी कंपनी का हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया था।
इसके बाद 25 जून को सेना का एमआई-17 हेलीकॉप्टर केदारनाथ से लौटते समय अचानक खराब मौसम और घने कोहरे के चलते जंगलचट्टी की पहाड़ी से टकराकर क्रैश हो गया था। इस हादसे में सेना के 20 अधिकारी/जवान शहीद हो गए थे। मृतकों के शव कई दिनों की खोज के बाद बरामद किए गए थे। इसके बाद 24 जुलाई को केदारनाथ से गुप्तकाशी लौट रहा निजी कंपनी का हेलीकॉप्टर गरुड़चट्टी में क्रैश हो गया था, जिसमें पायलट व इंजीनियर की मौत हो गई थी।
वर्ष 2010 में केदारनाथ में निजी कंपनी हेलीकॉप्टर के टेकऑफ करते समय पंखे से कटकर एक युवक की मौत हो गई थी। वर्ष 2016 में केदारनाथ में टेकऑफ के दौरान निजी कंपनी के हेलीकॉप्टर का दरवाजा खुल गया था, जिसमें छह यात्री बाल-बाल बच गए थे। इसके बाद इन यात्रियों को अन्य हेलीकॉप्टर से भेजा गया था। 18 मई 2017 को केदारनाथ में टेकऑफ करते समय निजी कंपनी के हेलीकॉप्टर के टायर रपट गए थे। जबकि 3 अप्रैल 2018 को निर्माण सामग्री ला रहा सेना का एमआई-17 हेलीकॉप्टर केदारनाथ में वीआईपी हेलीपैड से पहले ही बिजली के तारों में उलझकर क्रैश हो गया था। हादसे में पायलट व अन्य दोनों सुरक्षित थे।

जून 2017 में भी बदरीनाथ से हरिद्वार के लिए तीर्थयात्रियों को लेकर जा रहा एक हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। हादसे में चीफ इंजीनियर की मौत हो गई थी और दो पायलट घायल हुए थे। इंजीनियर की मौत इतनी दर्दनाक थी कि हेलकॉप्टर के पंखे में लगे ब्लेड से कटकर उनके शरीर के पांच टुकड़े हो गए थे। वहीं, 21 अगस्त 2019 को भी उत्तरकाशी के आपदा प्रभावित आराकोट क्षेत्र के गांवों में राहत सामग्री पहुंचा रहा एक हेलीकॉप्टर मोल्डी गांव के पास तार से टकराकर क्रैश हो गया। हादसे में हेलीकॉप्टर के परखच्चे उड़ गए और इसमें सवार पायलट एवं इंजीनियर के साथ ही एक स्थानीय युवक की मौत हो गई।

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