उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में दो बेटियों के माता-पिता सप्ताह भर पहले पॉजीटिव हुए थे। दो दिन पहले सांस लेने में बहुत दिक्कत होने लगी। शहर के किसी अस्पताल में बेड नहीं था कि वह माता-पिता को भर्ती करा पातीं। किसी तरह उन्हें अमौसी के टीएस मिश्रा अस्पताल में बेड मिले।
अस्पताल वालों ने दोनों बेटियों से पांच लाख जमा करने को कहा। इन बेटियों के पास इतना पैसा नहीं था। इन्होंने कई जगह गुहार लगाई लकिन हर जगह से निराशा हाथ लगी। फिर दोनों को अपने दोस्तों की याद आई। दोनों ने ग्रुप बनाकर अपनी समस्या बातकर मदद की गुहार की। देखते ही देखते दोस्तों ने 10 लाख रुपये इकट्ठा कर दिए। लखनऊ के सुशांत गोल्फ सिटी के पास रहने वाली ये लड़कियां पढ़ाई करती हैं। सप्ताह भर पहले इनके माता-पिता की तबीयत खराब होने लगी। जांच में दोनों कोरोना पॉजिटिव निकले और आक्सीजन स्तर काफी नीचे जाने लगा। माता-पिता को लेकर इस अस्पताल से उस अस्पताल भागती रहीं। कहीं जगह नहीं मिलीं।
साथियों की मदद से शुरू हुआ इलाज
जब कहीं से पैसों का जुगाड़ नहीं हुआ तो दोनों व्हाट्सएप पर ग्रुप बनाया। इसमें उन्होंने अपने स्कूल और कॉलेजों के साथियों को जोड़ा। ग्रुप पर मदद की मांग की। नतीजा ये रहा कि दोस्तों ने तीन दिन में करीब दस लाख रुपये इन बेटियों के खाते में आ गए। इससे मां को टीएस मिश्र अस्पताल में भर्ती करा दिया साथ ही पिता का घर पर इलाज शुरू हुआ। मनिपाल और नेशनल कॉलेज से पढ़ाई करने के बाद एक निजी संस्थान में नौकरी कर रही बड़ी बेटी ने बताया कि पिता का सारा पैसा बच्चों की पढ़ाई और घर बनवाने में लग गया था। जमापूंजी के नाम पर कुछ नहीं था। अचानक विपदाओं का यह पहाड़ टूट पड़ा। ऐसे बुरे वक्त पर जब कहीं से कोई राह नहीं सूझ रही थी तो दोस्त याद आए। दोस्तों ने खुलकर मदद की।