आईफोन 12 प्रो बनाने का खर्च 30 हजार रुपए, लेकिन 74 हजार में बेचती है कंपनी; प्रोडक्शन की लागत से 59% तक ज्यादा

आज से ठीक 14 साल पहले एपल ने अपना पहला आईफोन लॉन्च किया था। तब से लेकर आज तक आईफोन का क्रेज कम नहीं हुआ है। फर्क सिर्फ इतना है कि उस वक्त लोगों को स्टोर्स के बाहर लंबी लाइन लगाकर आईफोन खरीदना पड़ता था, अब ये काम ऑनलाइन हो जाता है। बीते 14 सालों में आईफोन की कीमतें लाख रुपए से ऊपर पहुंच चुकी हैं, लेकिन इसकी डिमांड में आज भी कोई कमी नहीं आई है।

वैसे, कभी आपने सोचा है कि जिस आईफोन की कीमत अब लाख रुपए से ऊपर पहुंच गई है, उसके प्रोडक्शन की लागत कितनी होती होगी? आखिर एक आईफोन हैंडसेट पर कंपनी को कितना फायदा होता होगा? इसी तरह प्रीमियम एंड्रॉयड स्मार्टफोन बनाने वाली कंपनी जैसे सैमसंग, गूगल भी अपने हैंडसेट पर कितना प्रॉफिट बनाती हैं।

कोरोना महामारी के दौर में भी आईफोन की डिमांड जमकर रही है। इस साल के पहली तिमाही में स्मार्टफोन की ग्लोबल सेल 100 बिलियन डॉलर (करीब 7.3 लाख करोड़ रुपए) को पार कर गई है। इस दौरान एपल आईफोन 12 प्रो मैक्स ने सबसे ज्यादा रेवेन्यू पर कब्जा किया है। वहीं, आईफोन 12, आईफोन 12 प्रो और आईफोन 11 का नंबर रहा। टेकवॉल्स की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका में आईफोन 12 प्रो (128GB) के प्रोडक्शन की लागत 406 डॉलर (करीब 30,000 रुपए) है, जबकि एपल इसे 999 डॉलर (करीब 74,000 रुपए) में बेचती है। यानी इसकी एक यूनिट पर कंपनी 59.36% या 593 डॉलर (करीब 44,000 रुपए) का प्रॉफिट बनाती है।

फोन के हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर दोनों पर बराबर खर्च
टेक एक्सपर्ट प्रावल शर्मा ने बताया कि फोन की कीमत एक यूनिट पर नहीं, बल्कि कितने मिलियन का ऑर्डर मिल रहा है इस बात से तय की जाती है। फोन की कीमत हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर में 40-60 रेशियो में होती है। ऐसा मान सकते हैं कि कंपनी को एक सबसे सस्ते 4G एंड्रॉयड स्मार्टफोन की मैन्युफैक्चरिंग के लिए हार्डवेयर में करीब 1500 से 2000 रुपए खर्च करने होते हैं। इसमें भी डिस्प्ले साइज, कैमरा मेगापिक्सल का अहम रोल होता है। वहीं, सॉफ्टवेयर के लिए करीब 2000 रुपए तक खर्च करने होते हैं। जिन सॉफ्टवेयर में अपडेट नहीं मिलता उनकी कीमत कम हो जाती है।

प्रॉफिट कमाने में सैमसंग और गूगल भी पीछे नहीं

ऐसा नहीं है कि सिर्फ एपल ही अपने आईफोन पर 72% तक प्रॉफिट बना रही हो। बल्कि प्रीमयम एंड्रॉयड स्मार्टफोन बनाने वाली कंपनी सैमसंग और गूगल भी अपने हैंडसेट पर इसी तरह से प्रॉफिट बनाती है। अमेरिकी बाजार में सैमसंग गैलेक्सी S20 अल्ट्रा के 12GB रैम + 256GB स्टोरेज वैरिएंट की कीमत 1350 डॉलर (करीब 100,200 रुपए) है, जबकि इसकी प्रोडक्शन की लागत 528 डॉलर (करीब 39,000 रुपए) है। यानी कंपनी एक यूनिट पर 822 डॉलर (करीब 61,200 रुपए) का प्रॉफिट बनाती है।

इसी तरह गूगल अपने पिक्सल XL (32GB) स्मार्टफोन को अमेरिकी बाजार में 769 डॉलर (करीब 57,000 रुपए) में बेचती है, जबकि इसके प्रोडक्शन की लागत 285 डॉलर (करीब 21,100 रुपए) है। यानी कंपनी एक हैंडसेट पर 62.84% या 484 डॉलर (करीब 35,900) का प्रॉफिट बनाती है।

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