कई लड़ाईयां हारने के लिए लड़ी जाती हैं । मैं गद्दारों की सूची में नाम नहीं लिखाना चाहता था। इसलिए मैं अंत तक मुलायमवादी रहा लेकिन मुलायम जी ने अखिलेश के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया और अखिलेशवादी हो गए। मुलायम न मेरे बाप हैं और न मेरे चाचा हैं। उनके प्रति मेरा अब कोई दायित्व नहीं है। मैं अब छुट्टा साड़ हूं। जहां हरा चारा मिलेगा वहीं मुंह मारुंगा। सपा के मार्गदर्शक मुलायम सिंह यादव पर आज ये तीखा हमला उनके एक समय में करीबी रहे अमर सिंह ने किया।
अमर सिंह ने कहा कि मुलायम ने अपने समर्पण में शिवपाल को रखा लेकिन मुझे नहीं रखा। मेरे लिए अखिलेश यादव मेरे मित्र के बेटे भर हैं। अखिलेश यादव का कहना है कि वे बड़े हो गए हैं और चाहते हैं कि मैं उनको अंकल बोलूं। अमर सिंह ने यहां बयानों से कई तीर छोड़े।
उन्हें रेस्त्रा में खाना नहीं खाने दिया जा रहा है और दवा भी नहीं खरीदने दिया जा रहा है। हर जगह मीडिया मेरे पीछे पड़ा है। उन्होंने कहा कि मुलायम सिंह यादव मेरे नेता रहे हैं और मैंने उनके साथ काम किया। अगर मुलायम सिंह ही समाजवादी पार्टी में नहीं रहे तो अखिलेश की पार्टी ने मुझे निष्काषित कर दिया है।
अखिलेश ने अपने राष्ट्रीय अधिवेशन में मुलायम सिंह, शिवपाल यादव और मुझे हटा दिया। तीन ही निर्णय लिए गए। कहा कि हम तो हटे हुए लोग हैं। कटे हुए लोग हैं। हमारे पीछे आप अपनी ऊर्जा क्यों खर्च कर रहे हैं। फिर उन्होंने रामायण की एक चौपाई पढ़ी- ‘तापस भेष बिशेष उदासी। चौदह बरस राम बनबासी’
बता दें कि यह प्रसंग श्रीरामचरितमानस के अयोध्याकांड का है जिसमें कैकेयी ने महाराज दशरथ से अपना दूसरा वरदान श्रीराम के लिए तपस्वी के वेष में 14 वर्ष का वनवास मांगा था (पहला वरदान भरत को राजतिलक का मांगा था।)। अमर सिंह ने कहा कि मीडिया ने आरोप लगाया था कि अंबानी परिवार में मेरे कारण ही विवाद हुआ जबकि ऐसा नहीं है। अंबानी परिवार के विवाद में मेरी कोई भूमिका नहीं है।
इसका अर्थ यह नहीं है कि मैं उनसे निष्कासन वापस लेने के लिए आवेदन कर रहा हूं। कहा कि पार्टी से निष्कासन के बाद उन्होंने मुझे छुट्टा साड़ बना दिया है, जहां हरा दिखेगा वहां मुंह मारुंगा। अमर सिंह ने कहा कि मलिकार बाबा यादवों भी काफी पूजनीय थे। मुलायम सिंह जी के परिवार से भी किसी को यहां आना चाहिए था।