अक्षय तृतीया होता है सबसे शुभ दिन , धन-संपत्ति के लिए खरीदे सोना और निचे वर्णित वस्तुए

संत

सनत तिवारी : वैशाख मास की शुक्स पक्ष को मनाया जाता है अक्षय तृतीया का त्योहार। इसे साल की शुभ तिथियों में से एक माना जाता है। अक्षय का मतलब होता है कभी ना नष्ट होने वाला। यही वजह है इस दिन जो भी खरीददारी और नया शुभ काम शुरू किया जाता है वो हमेशा बढ़ता ही रहता है और घर में सुख समृद्धि का वास होता है। यही वजह है कि इस दिन सोने की खरीददारी करने का भी विधान है। खीददारी के अलावा इस दान करने का भी कई गुना फल मिलता है। इस दिन शुभ मुहूर्त्त में अपनी कुण्डली के अनुसार दानोपाय करना और भी अच्छा माना जाता है। यही नहीं इस दिन लोग अपना नया बिजनेस भी शुरू करते हैं। इस शुभ तिथि पर सभी अच्छे काम जैसे विवाह, ग्रह प्रवेश, घर जमीन, गाड़ी की खरीददारी करना भी बहुत शुभ होता है। आज हम आपको बता रहे हैं अक्षय तृतीया पर भाग्योदय, पदोन्नति, धन-संपत्ति के किन चीजों की खरीददारी करनी चाहिए।

इस दिन भाग्योदय के लिए आप शंख और मोरपंख जैसे चीजें खरीद सकते हैं तो इसे बहुत ही शुभ माना जाता है। लेकिन इन्हें खरीदने के बाद इनके अच्छे से मंत्रोचार के बाद ही मंदिर में स्थापित करना चाहिए।

धन-संपत्ति के लिए इस दिन सोने की खरीददारी करना बहुत शुभ माना जाता है। इसलिए इस दिन आप सोने और चांदी के आभूषण खरीदने चाहिए। इसके अलावा आप सोने या चांदी के सिक्के भी खरीद सकते हैं। इसके लिए भी आपको मां लक्ष्मी की पूजा में इन्हें रखकर और मंत्रोपचार के बाद घर की तिजोरी में स्थापित करना चाहिए।ऐसी मान्यता है कि इस दिन सोना खरीदने से घर में दिनो-दिन इसमे वृद्धि होती है और घर में सुख संपत्ति आती है।

इस दिन पदोन्नति के लिए आप कपड़े, ग्रहस्थी का सामान जैसे बर्तन कपड़े खरीदें। इनका पूरी विधि विधान से मंत्रोपचार के साथ पूजा करें और घर में रखें।

 मनुष्य इस युगादि तिथि में जल एवं अन्न का सहर्ष दान करता है उन्हें अक्षय पूण्य की प्राप्ति होती है | मनुष्य इस युगादि तिथि में जल एवं अन्न का सहर्ष दान करता है उन्हें अक्षय पूण्य की प्राप्ति होती है |
मनुष्य इस युगादि तिथि में जल एवं अन्न का सहर्ष दान करता है उन्हें अक्षय पूण्य की प्राप्ति होती है | मनुष्य इस युगादि तिथि में जल एवं अन्न का सहर्ष दान करता है उन्हें अक्षय पूण्य की प्राप्ति होती है |अक्षय तृतीया पर चप्पल दान करने का भी महत्व है। माना जाता है कि ऐसा करने पर मृत्यु के पश्चात नर्क नहीं भोगना पड़ता।

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