मकर संक्रांति के साथ सूर्य के उत्तरायण होते ही 15 जनवरी के बाद अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण की तैयारियां दिखाई देने लगेंगी। इसके लिए राममंदिर आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती चली आ रही विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की अहम बैठक इसी महीने 20 जनवरी को प्रयाग में बुलाई गई है।
इसमें देश भर के लगभग 250 प्रमुख संत शामिल होकर इस मुद्दे पर हिंदुत्व के एजेंडे पर अब तक हुए काम और उनकी प्रगति तथा आगे की योजना पर चर्चा करेंगे। श्रीराम जन्मभूमि पर सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय आने के बाद केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की यह पहली बैठक है।
केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल वह फोरम है जो हिंदुत्व से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर वर्ष में दो बार एक साथ बैठकर अपना दृष्टिकोण तय करता है। साथ ही उसे लोगों के बीच ले जाने की रणनीति का खाका खींचता है। इससे पहले मार्गदर्शक मंडल की बैठक हुई थी। प्रयाग में होने वाली बैठक के लिए विहिप के उपाध्यक्ष चंपतराय, केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल के संयोजक जीवेश्वर मिश्र और धर्माचार्य संपर्क प्रमुख अशोक तिवारी की तरफ से केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल के सभी सदस्यों को आग्रह पत्र भेजे जा रहे हैं।
मंदिर से जुड़े मुद्दे पर ये खास
सूत्र बताते हैं कि मार्गदर्शक मंडल की बैठक होने तक सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुसार गठित होने वाला ट्रस्ट भी अस्तित्व में आ जाएगा। इसलिए बैठक में ट्रस्ट के मद्देनजर मंदिर निर्माण में विहिप और संतों की भावी भूमिका पर भी विचार-विमर्श कर कार्ययोजना बनाई जाएगी।
ट्रस्ट अगर गठित हो गया तो मंदिर निर्माण को प्रारंभ करने की संभावित तारीखों पर भी विचार-विमर्श भी किया जाएगा। इसके अलावा मंदिर निर्माण में हिंदू समाज के हर व्यक्ति के योगदान और अयोध्या के भावी स्वरूप पर भी चर्चा प्रस्तावित है।
ध्यान रहे कि पिछले दिनों अयोध्या में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सहसरकार्यवाह डॉ. कृष्णगोपाल के साथ विहिप के प्रमुख लोगों की बैठक में न सिर्फ अयोध्या को लेकर अब तक हुए कामों की स्थिति की समीक्षा हुई बल्कि आगे की रणनीति पर भी चर्चा हुई। साथ ही केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की बैठक के विषयों पर भी विचार-विमर्श हो चुका है।
इन विषयों पर भी बनेगी रणनीति
यह बैठक इसलिए काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि अयोध्या और मंदिर को लेकर अब तक हुए प्रमुख निर्णय मार्गदर्शक मंडल की बैठकों से ही निकलते रहे हैं। विहिप के मीडिया प्रभारी शरद शर्मा भी कहते हैं कि विहिप का काम केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल में शामिल संतों व धर्माचार्यों के निर्णयों को जमीन पर उतारना है।
इस बैठक में भी संत मंदिर निर्माण और अन्य मुद्दों पर जो फैसला करेंगे विहिप उसके अनुसार काम करेगी। दरअसल, यह बैठक इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि संत काफी पहले से अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण, अनुच्छेद 370 की समाप्ति, विदेशों से भागकर आए हिंदू शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देने, समान नागरिक संहिता और जनसंख्या नियंत्रण, घुसपैठियों को देश से बाहर निकालने, गोवंश की सुरक्षा, गंगा सहित नदियों की अविरलता व निर्मलता, धर्मांतरण के खिलाफ कानून बनाने की मांग करते रहे हैं।
इसमें ज्यादातर मुद्दों पर सरकार ने केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की पिछली बैठक के बाद निर्णय किए हैं। इसलिए ये निर्णय इसी बैठक में संतों के विचार-विमर्श का हिस्सा होंगे। खास बात यह भी है कि जिस तरह सीएए कानून के खिलाफ देशभर में प्रदर्शन चल रहे हैं उसको देखते हुए इस बारे में भी केंद्रीय मार्गदर्शक बैठक में विचार-विमर्श होगा। सूत्र बताते हैं कि बैठक में संतों की तरफ से इस कानून पर सरकार के समर्थन में उतरने का फैसला लिया जा सकता है।