कोरोना संक्रमण के चलते माता-पिता या किसी एक को खोने वाले बच्चों की देखभाल के लिए ‘उप्र मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना’ को सोमवार को कैबिनेट बाई सर्कुलेशन मंजूरी दे दी है। इसके तहत ऐसे बच्चों को 18 वर्ष की उम्र का होने तक चार हजार रुपये प्रतिमाह दिया जाएगा। बच्चियों की शादी के लिए एक लाख एक हजार रुपये की धनराशि दी जाएगी। कक्षा नौ से ऊपर या व्यावसायिक शिक्षा ग्रहण करने वाले बच्चों को निशुल्क लैपटॉप व टैबलेट दिया जाएगा। निदेशक महिला कल्याण मनोज राय ने बताया कि कैबिनेट की मंजूरी के बाद जल्द ही इसका शासनादेश जारी कर दिया जाएगा। इससे निराश्रित बच्चों को इस योजना का लाभ मिलने लगेगा।
कोई अभिभावक नहीं तो बाल गृहों में रखे जाएंगे बच्चे
निदेशक महिला कल्याण मनोज राय ने सोमवार को बताया कि ‘उप्र मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना’ के तहत कोरोना से अनाथ हुए बच्चों के पालन-पोषण व रहने के साथ ही बड़े होने पर उनकी शिक्षा और शादी तक की व्यवस्था की गई है। यदि अनाथ हुए बच्चों को रखने वाला कोई अभिभावक नहीं होगा तो ऐसे बच्चों को राजकीय बाल गृहों में रखा जाएगा। इनकी पढ़ाई कस्तूरबा व अटल विद्यालयों में कराई जाएगी।
इन बच्चों को मिलेगा योजना का लाभ
- योजना के तहत 0 से 18 वर्ष की आयु तक वाले ऐसे सभी बच्चे लाभान्वित होंगे, जिनके माता-पिता या दोनों में से किसी एक का निधन करोना की वजह से हुआ होगा। यदि किसी बच्चे के माता-पिता में से किसी एक का निधन 1 मार्च 2020 से पहले हुआ है और दूसरे का निधन कोरोना काल में संक्रमण से हुआ होगा तो ऐसे बच्चे भी योजना का लाभ पा सकेंगे। इसके अलावा 18 तक की आयु वाले ऐसे सभी बच्चों को भी इस योजना का लाभ दिया जाएगा, जिन्होंने कोरोना से अपने माता-पिता में से किसी एक कमाने वाले अभिभावक को खोया हो और जीवित अभिभावक की वार्षिक आय दो लाख सालाना से अधिक न हो। कोरोना से मौत से संबंधित साक्ष्य के तौर पर एंटीजन या आरटीपीसीआर टेस्ट की पाजिटिव रिपोर्ट देखी जाएगी। रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद पड़ने वाले दुष्प्रभाव से होने वाली मौत को भी कोरोना से मौत माना जाएगा।