पुरुषोत्तम मास को मलमास या अधिक मास भी कहा जाता है. जिस माह में सूर्य संक्रांति नहीं होती वह मलमास कहलाता है. इन दिनों में कोई भी मांगलिक कार्य करना वर्जित रहता है. परंतु इस दौरान किए गए धर्म-कर्म से जुड़े सभी कार्य विशेष फलदायी रहते हैं. मलमास में केवल ईश्वर के लिए व्रत, दान, हवन, पूजा, ध्यान आदि करने का विधान है. ऐसा करने से पापों से मुक्ति मिलती है और पुण्य प्राप्त होता है.
आज हम आपको बता रहे हैं कि इस दौरान आपको क्या करना चाहिए.
1-मलमास में आपको ‘ओम नमो भगवते वासुदेवाय नम:’ मंत्र या गुरु द्वारा प्रदत्त मंत्र का नियमित जप करना चाहिए. इस मास में श्रीविष्णु सहस्त्रनाम, पुरुषसूक्त, श्रीसूक्त, हरिवंश पुराण और एकादशी महात्म्य कथाओं के श्रवण से सभी मनोरथ पूरे होते हैं. इस दौरान श्रीकृष्ण, श्रीमद् भागवत गीता, श्रीराम कथा वाचन और विष्णु भगवान की उपासना की जाती है. इस माह में उपासना करने का अलग ही महत्व है.
2-पुराणों में बताया गया है कि यह माह व्रत-उपवास, दान-पूजा, यज्ञ-हवन और ध्यान करने से मनुष्य के सभी पाप कर्मों का क्षय होकर उन्हें कई गुना पुण्य फल प्राप्त होता है. इस माह में आपके द्वारा गरीब को दिया एक रुपया भी सौ गुना फल देता है.
3-मलमास में दीपदान, वस्त्र और श्रीमद् भागवत कथा ग्रंथ दान का विशेष महत्व है. इस मास में दीपदान करने से धन-वैभव के साथ ही आपको पुण्य लाभ भी प्राप्त होता है.
4-पुरुषोत्तम मास में भगवान विष्णु के पूजन के साथ कथा श्रवण का विशेष महत्व है. इस दौरान शुभ फल प्राप्त करने के लिए मनुष्य को पुरषोत्तम मास में अपना आचरण पवित्र और सौम्य रखना चाहिए. इस दौरान मनुष्य को अपने व्यवहार में भी नरमी रखनी चाहिए.