अखिलेश और मुलायम को अस्थायी नाम और निशान उपलब्ध करा सकता है EC

सपा में नाम और निशान के लिए जारी महाभारत में पलड़ा भारी होने के बावजूद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की राह आसान नहीं है। दरअसल दोनों ही धड़ों की ओर से अपने-अपने समर्थन में पेश किए गए दस्तावेज की भरमार से खुद चुनाव आयोग भी चकरा गया है।उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि चूंकि इस संबंध में फैसला पहले चरण के चुनाव की अधिसूचना जारी होने से पहले ही लिया जाना है, ऐसे में इतनी जल्दी सभी दस्तावेज का अध्ययन का काम पूरा होने की संभावना बेहद कम है।
mulayam-singh-yadav_1480611550-1
फिलहाल ज्यादा संभावना इस बात की है कि आयोग दोनों ही धड़ों को अस्थायी रूप से पार्टी का नया नाम और निशान हासिल करने का निर्देश देगा। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री अखिलेश गुट के सांसद प्रो. रामगोपाल यादव ने आयोग के समक्ष नाम और निशान पर अपना दावा जताते हुए डेढ़ लाख पेज का दस्तावेज जमा कराया है।

9 दिन में नहीं हो पाएगा दस्तावेजों की जांच पड़ताल का काम

आयोग के सूत्रों के मुताबिक, दोनों धड़ों के दावों-प्रतिदावों पर आयोग ने विचार-विमर्श शुरू कर दिया है। आयोग के समक्ष दस्तावेज की भरमार बड़ी समस्या बन गई है। एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, पहली अधिसूचना जारी होने से पहले यानी 17 जनवरी से पहले दस्तावेज के अध्ययन का काम पूरा होना संभव नहीं दिख रहा है।

हालांकि आयोग अगले हफ्ते लगातार बैठकें कर दोनों धड़ों के दावों की जांच करेगा। उक्त अधिकारी के अनुसार अब तक की स्थिति के अनुसार व्यापक पैमाने पर जमा कराए गए दस्तावेज का अध्ययन महज 9 दिनों में संभव नहीं दिख रहा।
ऐसे में ज्यादा संभावना नाम और निशान के फ्रीज होने और दोनों ही धड़ों को अस्थायी नाम और निशान उपलब्ध कराए जाने की है। पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने भी कहा है कि ऐसे मसलों को सुलझाने के लिए आयोग को 4-5 महीने लग सकते हैं।

ये है दोनों धड़ों का दावा

अखिलेश धड़े का दावा है कि पार्टी के संविधान के अनुसार अधिवेशन बुला कर मुख्यमंत्री को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया है। अखिलेश धड़े को 90 फीसदी से ज्यादा विधायकों, विधान परिषद के सदस्यों और सांसदों का समर्थन हासिल है।
ऐसे में नाम और निशान पर उसका स्वाभाविक हक बनता है। उधर, मुलायम सिंह धड़े का दावा है कि चूंकि रामगोपाल को अधिवेशन बुलाने से पहले ही 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित किया जा चुका था, ऐसे में न तो उन्हेंअधिवेशन बुलाने का हक था और न ही यह अधिवेशन ही संवैधानिक है।

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com